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मुंबई, राज्य के सभी सरकारी अस्पताल बदहाल अवस्था में पहुंच गए हैं। आलम यह है कि प्रदेश के अस्पतालों से कोई न कोई लापरवाही के किस्से सामने आते ही रहते है। फिलहाल इस समय मुंबई मनपा के प्रमुख और उपनगरीय अस्पताल सबसे दयनीय स्थिति में पहुंच गए हैं। इससे जोगेश्वरी में विशेष हिंदूहृदयसम्राट बालासाहेब ठाकरे ट्रामा केयर अस्पताल भी अछूता नहीं है। इस अस्पताल में मरीजों के लिए बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। यहां साफ-सफाई का अभाव रहता है। एक्सरे, सीटी स्कैन और एमआरआई के लिए मरीजों को ४ से ६ महीने तक इंतजार करना पड़ता हैं। ओपीडी में मरीजों की लंबी कतार लगी रहती है। दवाओं की कमी तो इस अस्पताल में हमेशा बनी रहती है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि यदि गंभीर अवस्था में कोई मरीज अस्पताल में आ जाता है तो उसे आईसीयू बेड नहीं मिलता है। ऐसे में मरीजों के परिजन कह रहे हैं कि ट्रामा अस्पताल लापरवाही से बदहाल है और अब इसे ही इलाज की दरकार है। ज्ञात हो कि मनपा ने साल २०१३ में १२५ करोड़ रुपए खर्च कर जोगेश्वरी में करीब ३०४ बेड का १४ मंजिला विशेष हिंदूहृदयसम्राट बालासाहेब ठाकरे ट्रामा केयर अस्पताल को अत्याधुनिक तरीके से बनाया था। सामान्य वॉर्डों के साथ ही सर्जिकल, मेडिकल और ट्रॉमा समेत तीन आईसीयू वॉर्ड भी हैं। तीनों आईसीयू में १० डॉक्टरों की देखरेख में मरीजों का इलाज किया जाता है। इस अस्पताल को बनाने के पीछे प्रमुख अस्पतालों के बोझ को कम करना मुख्य उद्देश्य था, लेकिन अब बीते कुछ महीनों से यह अस्पताल खस्ताहाली से जूझ रहा है।
मरीजों का कहना है कि दुर्घटनाओं के शिकार अथवा अन्य बीमारियों से पीड़ित मरीजों का इस अस्पताल में इलाज संभव है। बावजूद उन्हें मनपा के दूसरे अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है। मरीजों का यह भी कहना है कि यहां से दुसरे अस्पतालों में रेफर तो कर दिया जाता है लेकिन रेफरल अस्पतालों में बेड का प्रबंधन पहले से नहीं किया जाता है। ऐसी स्थिति में उनके परिजनों के लिए विभिन्न अस्पतालों में खाली बेड का पता लगाने के लिए चक्कर काटने पड़ते हैं।
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