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मुंबई : आखिरकार तमाम कोशिशों के बावजूद महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार दस महीने से खाली पड़े विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव को करवाने में असफल रही है। महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने विधानसभा में एक चौंकाने वाली जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि महामहिम राज्यपाल की तरफ से जो जवाब आया है। अगर उसके बाद भी विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव करवाया जाता है तो संवैधानिक रूप से ठाकरे सरकार खतरे में आ सकती है। ऐसे में इस चुनाव को इस सत्र में ना करवाने का फैसला लिया गया है।
महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार तक यह भूमिका रखी थी कि वे इस चुनाव को किसी भी कीमत पर करवाएंगे। हालांकि, सूत्रों की माने तो इसका विरोध खुद महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार की तरफ से भी किया गया था। इसके बाद खुद एनसीपी के सर्वेसर्वा और राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले शरद पवार ने भी इस चुनाव को ना करवाने की सलाह महाविकास अघाड़ी के नेताओं को दी थी। माना जा रहा है कि शरद पवार की सलाह के बाद इस चुनाव को ना करवाने का फैसला लिया गया है।
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने आज सुबह तकरीबन 11 बजे दोबारा एक बंद लिफाफे में अपना जवाब ठाकरे सरकार को भेजा था। सूत्रों की मानें तो इस जवाब के बाद सदन में हलचल तेज हो गई। सत्ताधारी नेताओं ने इस पत्र के बाद मुख्यमंत्री से संपर्क कर चर्चा की। इस दौरान अजित पवार ने राज्यपाल को दरकिनार कर चुनाव करवाने के फैसले का विरोध किया। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के फैसले के विरुद्ध अगर यह चुनाव करवाया जाता है तो संवैधानिक रूप से ठाकरे सरकार को खतरा पैदा हो सकता है। चुनाव के बाद राज्यपाल की तीखी प्रतिक्रिया भी देखने को मिल सकती है।
सूत्रों की माने तो इस घटनाक्रम के बाद शरद पवार ने भी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को फोन किया और इस चुनाव के संबंध में दोनों नेताओं के बीच में चर्चा हुई। शरद पवार ने की उद्धव ठाकरे को यह सलाह दी कि इस चुनाव को करवाना सरकार की सेहत से खिलवाड़ करने के बराबर होगा। पवार के फोन के बाद मुख्यमंत्री ने यह चुनाव ना करवाने का फैसला सर्वसम्मति से लिया है।
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