Breaking News
मुंबई, देश के कई बड़े व्यापारी बैंकों से लोन लेकर विदेशों में ऐश कर रहे हैं। लेकिन केंद्र सरकार, आरबीआई या अन्य बैंक उनसे लोन की रिकवरी नहीं कर पा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ आम नागरिक जो छोटे-मोटे उद्योग धंधे शुरू करना चाहते हैं, उन्हें बैंक ऋण देने से कतरा रहे हैं। गौर करने वाली बात है कि केंद्र सरकार अनेक प्रकार की लघु उद्योग संबंधी योजनाएं चला रही है। लघु उद्योग के अंतर्गत सरकार प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, प्रधानमंत्री रोजगार योजना, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम और लघु उद्योग क्रेडिट कार्ड योजना, क्रेडिट लिंक वैâपिटल सब्सिडी स्कीम, एमएसएमई आदि शामिल हैं। हालांकि, सरकार की विरोधी नीतियों और बैंकों की सख्त शर्तों की वजह से छोटे और मध्यम उद्योग दम तोड़ रहे हैं। बता दें कि चालू वित्त वर्ष २०२३-२४ की पहली तिमाही में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को बैंक ऋण वृद्धि में सालाना आधार पर गिरावट आई है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों में यह बात कही गई। एमएसएमई क्षेत्र से जुड़े लोगों का कहना है कि जोखिम से बचने के लिए बैंक लघु उद्योग करने के इच्छुक लोगों को ऋण देने से बचना चाहते हैं, जिससे उन्हें ऋण देने की वृद्धि दर में गिरावट हुई है। रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार, जून में मध्यम उद्योगों को दिए जाने वाले ऋण में १३.२ प्रतिशत (पिछले साल ४७.८ प्रतिशत) और सूक्ष्म व लघु उद्योगों को दिए गए कर्ज में १३ प्रतिशत (एक साल पहले २९.२ प्रतिशत) की बढ़ोतरी हुई। जून के अंत में मध्यम उद्योगों का सकल बैंक ऋण बकाया २,६३,४४० करोड़ रुपए था, जो पिछले साल जून में २,३२,७७६ करोड़ रुपए था।
रिपोर्टर