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मुंबई। विधानसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में सरकार ने जानकारी दी कि 1 जनवरी 2020 से 31 दिसंबर 2022 के बीच अमरावती, नागपुर और औरंगाबाद विभागों में कुल 7092 किसानों ने आत्महत्या की है। कुणाल पाटिल, सुलभा खोडके सहित अन्य सदस्यों के सवाल के जवाब में मदद और पुनर्वास मंत्री अनिल पाटिल ने माना कि लगातार हो रही बेमौसम बारिश, ओला वृष्टि और अपर्याप्त बारिश की वजह से किसानों का बड़ा नुकसान हुआ है और किसान दिन-प्रतिदिन कर्ज के जाल में उलझ रहे हैं।
मंत्री ने लिखित उत्तर में कहा कि राज्य में पिछले 3 साल अर्थात 1 जनवरी 2020 से 31 दिसंबर 2022 के बीच अमरावती विभाग में 3452, नागपुर विभाग में 957 तथा मराठवाडा विभाग में 2683 किसानों की आत्महत्या पंजीकृत की गई है। आत्महत्याओं की जांच में पाया गया कि लगातार अपर्याप्त, कर्ज बाजारी सहित कर्ज के ताकदे की वजह से अमरावती में 1404, नागपुर में 317 तथा मराठवाडा में 2110 किसानों ने खुदकुशी की है। मंत्री ने इस बात को स्वीकार किया कि कम कृषि, शाश्वत सिंचन का अभाव, बदलते मौसम, निवेश और श्रम की तुलना में कृषि आय नहीं मिलने, कृषि उत्पादों को उचित मूल्य नहीं मिलने, कर्ज के जाल में उलझने की वजह से किसान आर्थिक दिक्कतों में फंस गए हैं।
पाटिल ने लिखित उत्तर में कहा कि विभागीय आयुक्त औरंगाबाद ने मदद और पुनर्वास विभााग को 30 जून 2023 को भेजी रिपोर्ट में किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए कई योजनाएं बंद कर खरीफ और रबी मौसम में प्रति एकड़ 10 हजार रुपए का अनुदान देने की सिफारिश की थी। उन्होंने कहा कि तत्कालीन विभागीय आयुक्त औरंगाबाद के तेलगांना की तर्ज पर प्रति एकड़ 10 हजार रुपए के प्रस्ताव को मंजूरी देना संभव नहीं है। केंद्र की प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत किसानों को हर साल 6 हजार रुपए दिए जाते हैं। इसके अलावा राज्य सरकार की तरह से नमो किसान महासम्मान योजना के तहत हर साल 6 हजार रुपए देने के लिए 6060 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
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