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साधना के मार्ग पर चलकर ही पूर्ण हो सकती मुक्ति की अभिलाषा-हितेशमुनिजी म.सा.
अंबिका जैन भवन में मुकेशमुनिजी म.सा. के सानिध्य में चातुर्मासिक प्रवचन
जोधपुर संभाग पारस शर्मा अम्बाजी समय बड़ा बलवान इसलिए कहा जाता है क्योंकि हर खोई चीज वापस पाई जा सकती है लेकिन हाथ से निकला समय कभी वापस लौटकर नहीं आता है। धर्म आराधना व जिनवाणी श्रवण का जीवन में जो ये समय मिला है इसका सदुपयोग कर ले क्योंकि बाद में हम चाहेंगे तो भी ये वक्त वापस लौटकर नहीं आएगा।ये विचार पूज्य दादा गुरूदेव मरूधर केसरी मिश्रीमलजी म.सा., लोकमान्य संत, शेरे राजस्थान, वरिष्ठ प्रवर्तक पूज्य गुरूदेव श्रीरूपचंदजी म.सा. के शिष्य, मरूधरा भूषण, शासन गौरव, प्रवर्तक पूज्य गुरूदेव श्री सुकन मुनिजी म.सा. के आज्ञानुवर्ती युवा तपस्वी श्री मुकेश मुनिजी म.सा. के सानिध्य में सेवारत्न श्री हरीशमुनिजी म.सा. ने गुरूवार को श्री अरिहन्त जैन श्रावक संघ अम्बाजी के तत्वावधान में चातुर्मासिक प्रवचन में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि धर्म की आराधना से जो पुण्य अर्जित होंगे वह ही परभव में काम आएंगे बाकी सब वैभव-संपदा तो यहीं छूट जाएंगे। इसलिए हमारा लक्ष्य अधिकाधिक पुण्यार्जन करना होना चाहिए। मधुर व्याख्यानी श्री हितेशमुनिजी म.सा. ने कहा कि ईश्वर की आराधना में सबसे बड़े बाधक प्रमाद से सदा सावधान रहे। अप्रमादी बनकर वितराग प्रभु की आराधना करे। इन्द्रियों व मन के वशीभूत होकर मनुष्य प्रमाद करता है। प्रमादरहित होकर प्रभु की आराधना करने पर जीवन सफल हो सकता है। उन्होंने कहा कि जीवन में मुक्ति की अभिलाषा साधना के मार्ग पर चलकर ही पूर्ण हो सकती। जो सांसारिक सुखों का त्याग कर साधना के मार्ग पर चलते है उनका जीवन सफल व सार्थक बन जाता है। धर्मसभा में युवारत्न श्री नानेशमुनिजी म.सा. एवं प्रार्थनार्थी सचिन मुनिजी म.सा. का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। धर्मसभा में चैन्नई से पधारे गुरू मिश्री रूप रजत ग्रुप के सदस्य गुरूभक्त पारसमलजी संचेती, माणकचंदजी खाब्या, गौतमचंदजी लोढ़ा, देवराजजी लुणावत, महावीरचंदजी सिसोदिया, सुभाषचंदजी छाजेड़, धर्मीचंदजी पोखरना, महावीरचंदजी तालेड़ा, नवरत्नमलजी आच्छा, देवीचंदजी, विजयराजजी लोढ़ा, किशनगढ़ से पदमचंदजी गदिया, श्री मरूधर केसरी महिला मण्डल की संरक्षिका ललिताजी गदिया आदि श्रावक-श्राविकाओं ने भी मौजूद रहकर गुरू दर्शन व जिनवाणी का लाभ लिया।
एकासन तेला तप पारणा एवं नवकारशी के लाभार्थी श्रीमती ताराबाई पुनमचंद जी
दिलिपकुमार हरीश कुमार जी बडाला परिवार अम्बाजी रहे।
धर्मसभा में चैन्नई,किशनगढ़, अहमदाबाद, सिरोही, अजमेर, गांधीनगर, आबूरोड सहित विभिन्न स्थानों से पधारे श्रावक श्राविकाएं भी मौजूद थे। धर्मसभा का संचालन गौतमचंद बाफना ने किया।
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