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मुंबई : नंदुरबार में बेटी से गैंगरेप के बाद बाप एकदम दहल गया था। बेटी दुनिया से चली गई थी। मरने के बाद भी उसे इंसाफ नहीं मिल रहा था। पिता ने इंसाफ दिलाने की ठान ली और शव को नमक के गड्ढे में संभालकर रखा। पिता को यह भरोसा था कि उनकी मांग आखिर सुनी जाएगी और फिर से जांच की सारी फाइलें खुलवाई जाएंगी। हुआ भी यही, पिता की लड़ाई काम आई और एसपी ने पूरे मामले की फिर से जांच का आदेश दे दिया है। एक बार फिर शव को पोस्टमार्टम के लिए जेजे अस्पताल मुंबई भेजा गया।
आरोपियों को पकड़ लिया गया है। परिवार दूसरे जिले में केस को ट्रांसफर करने की मांग कर रहा है। धदगांव तालुका पुलिस की भूमिका इस पूरे मामले में संदिग्ध रही है। मरने से पहले पीड़िता की फोन पर की गई अपने रिश्तेदारों के साथ बातचीत तक को पुलिस ने नहीं सुना और आत्महत्या का केस बना दिया।
पीड़िता एक शादीशुदा आदिवासी महिला थी। वह पति से अलग होने के बाद नंदुरबार जिले के धदगांव तालुका में पिता के साथ रह रही थी। पीड़िता के परिवार का आरोप है कि आरोपी ने पड़ोस के वावी गांव के एक सहयोगी के साथ पीड़िता को जबरदस्ती मोटरसाइकिल पर बैठा लिया। थोड़ी ही दूर में दो और लोग शामिल हो गए। इसके बाद पीड़िता को गांव से २०-३० किलोमीटर दूर ले जाया गया और एक सुनसान इलाके में गैंगरेप किया गया। पीड़िता ने मौका देखकर फोन से घरवालों से संपर्क किया और कहा कि अब उसे जिंदा नहीं छोड़ा जाएगा।
पिता को इसके बाद बेटी की मौत की सूचना मिली। पिता ने धदगांव पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया है कि उनकी बेटी को गैंगरेप के बाद मारा गया है, जबकि पुलिस मामले को रफा-दफा करने की कोशिश कर रही है। यही वजह है कि उन्होंने अपनी बेटी का शव १ अगस्त से नमक के गड्ढे में संभाल कर रखा। पीड़िता के पिता का कहना है कि जब तक उनकी बेटी की मौत की सही जांच और उसके शव का पोस्टमार्टम फिर से नहीं किया जाता, वे अपनी बेटी का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। पिता की इस जिद और स्थानीय लोगों के आक्रोश को देखते हुए प्रशासन ने फिर से पोस्टमार्टम और मामले का थॉरो इन्वेस्टिगेशन करने की शुरुआत करते हुए शुक्रवार को मुंबई के जेजे अस्पताल में पोस्टमार्टम करवाया। यह पोस्टमार्टम वैâमरे के सामने किया गया है। डॉक्टरों ने रिपोर्ट पुलिस को सौंप दी है।
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