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मुंबई, नवजात शिशुओं की उचित सुरक्षा न हो पाने के कारण दुनिया में बहुत सारे बच्चे मौत के आगोश में समा जाते हैं। हिंदुस्थान में नवजात शिशुओं की मौत की दर बहुत अधिक है। हालांकि, इसे रोकने की दिशा में किए गए प्रयासों से शिशु मृत्यु दर में कमी आई है। सरकार की ओर से जो आंकड़े जारी किए गए हैं, उसके मुताबिक, १९५१ में जहां प्रति १००० नवजात बच्चों में १४६ की मौत हो जाती थी, वहीं २०२२ में यह संख्या घटकर २८ तक आ गई है। ये आंकड़े उन बच्चों से जुड़े हैं, जिनकी मौत जन्म के एक साल के अंदर हो जाती है। पिछले एक दशक में ग्रामीण क्षेत्रों की शिशु मृत्यु दर में ३५ प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में ३४ प्रतिशत की गिरावट आई है।
नवजात मृत्यु दर भी २०१९ में प्रति १,००० जीवित शिशुओं में से २२ के मुकाबले दो अंक घटकर २०२० में २० रह गई। रिपोर्ट के अनुसार, देश के लिए कुल प्रजनन दर (टीएफआर) भी २०१९ में २.१ से घटकर २०२० में २.० हो गई है। बिहार में २०२० के दौरान उच्चतम टीएफआर (३.०) दर्ज गई, जबकि दिल्ली, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में न्यूनतम टीएफआर (१.४) दर्ज की गई। इसके अनुसार, छह राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों, केरल (४), दिल्ली (९), तमिलनाडु (९), महाराष्ट्र (११), जम्मू और कश्मीर (१२) और पंजाब (१२) ने पहले ही नवजात मृत्यु दर के एसडीजी लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है। रिपोर्ट के अनुसार, ग्यारह राज्य और केंद्र शासित प्रदेश (यूटी)-केरल (८), तमिलनाडु (१३), दिल्ली (१४), महाराष्ट्र (१८), जम्मू-कश्मीर (१७), कर्नाटक (२१), पंजाब (२२), पश्चिम बंगाल (२२), तेलंगाना (२३), गुजरात (२४) और हिमाचल प्रदेश (२४) पहले ही यू५एमआर के एसडीजी लक्ष्य को प्राप्त कर चुके हैं। नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) सांख्यिकीय रिपोर्ट २०२० के अनुसार, भारत में पांच वर्ष से कम उम्र के शिशुओं की मृत्यु दर (यू५एमआर) में २०१९ से तीन अंकों की (वार्षिक कमी दर ८.६ प्रतिशत) देखी गई है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में पांच वर्ष से कम आयु में मृत्यु दर २०१९ में प्रति १,००० जीवित शिशुओं में से ३५ के मुकाबले २०२० में घटकर ३२ रह गई है। रिपोर्ट के अनुसार, शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) में भी २०१९ में प्रति १,००० जीवित शिशुओं में से ३० के मुकाबले २०२० में प्रति १,००० जीवित शिशुओं में से २८ के साथ दो अंकों की गिरावट दर्ज की गई है और वार्षिक गिरावट दर ६.७ प्रतिशत रही।
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