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मुंबई: महाराष्ट्र सरकार के बजट सत्र के पहले ही दिन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के भाषण के दौरान महाविकास अघाड़ी के नेताओं ने जमकर नारेबाजी की। इस नारेबाजी से महामहिम इतने नाराज हुए कि वह अपना भाषण अधूरा छोड़कर ही सदन से निकल गए। दरअसल कुछ दिनों पहले गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी ने औरंगाबाद जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज को लेकर एक विवादित बयान दिया था। अपने बयान में उन्होंने कहा था कि जिस तरह से चाणक्य के बिना चंद्रगुप्त को कौन पूछेगा, उसी प्रकार समझ के बिना शिवाजी को कौन पूछेगा? जीवन में गुरु का काफी महत्व होता है। इस बयान के बाद राज्य में बवाल मचा हुआ है। एनसीपी ने गवर्नर के इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है। सांसद सुप्रिया सुले ने राज्यपाल को बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद खंडपीठ की उस ऑडर कॉपी ट्वीट किया। जिसमें यह कहा गया है कि शिवाजी महाराज और स्वामी समर्थ रामदास के बीच कोई गुरु और शिष्य का रिश्ता नहीं था।
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य के औरंगाबाद जिले के तापड़िया नाट्यमंदिर एकदिवसीय श्री समर्थ साहित्य सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इसी कार्यकम के दौरान महामहिम राज्यपाल ने यह बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि अपने समाज और राष्ट्र को बलशाली करने के लिए संत विचारों का प्रवाह जरूरी है। उन्होंने कहा कि अपने देश में समृद्ध गुरु परंपरा चली आ रही है। मानव जीवन में सदगुरू की प्राप्ति होना बड़ी बात होती है। चाणक्य के बिना चंद्रगुप्त को कौन पूछेगा? समर्थ के बिना शिवाजी को कौन पूछेगा? गुरुवार का बड़ा महत्व होता है।
महाराष्ट्र विधानसभा का बजट सत्र पहले दिन हंगामे की भेंट चढ़ गया। महाविकास अघाड़ी के नेताओं ने जहां सदन में महामहिम राज्यपाल के भाषण के दौरान जमकर हंगामा किया। वहीं विपक्ष में बैठे बीजेपी के नेताओं ने नवाब मलिक के मुद्दे पर सत्ता पक्ष को घेरा। उन्होंने सदन के बाहर नवाब मलिक हाय-हाय के नारे लगाए। बीजेपी नेता और प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील ने ठाकरे सरकार को यह चेतावनी भी दी थी कि अगर नवाब मलिक को मंत्रिमंडल से नहीं हटाया जाएगा तो सदन को कार्यवाही को चलने नहीं दिया जाएगा।
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