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मुंबई : मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि राज्य की किलों का विकास करते समय उनकी पवित्रता बनाई रखी जाए और मूल स्वरूप में ही उनका विकास होना चाहिए। इस उद्देश्य के लिए नियुक्त वास्तुकारों की तरफ से किलों की संरक्षण योजना अगले तीन माह में पेश की जाए। इस प्रारूप में किलों का संवर्धन किस पद्धति से किया जाएगा, इसकी जानकारी प्रदान की जाए। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने निर्देश दिया कि जलदुर्ग सहित किलों के इतिहास को समझकर और वहां की भौगोलिक परिस्थितियों का अध्ययन करके आर्किटेक्ट्स को इन योजनाओं को तैयार करना चाहिए। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सोमवार को सांस्कृतिक कार्य विभाग की विभिन्न विषयों की समीक्षा की। इसमें प्राचीन मंदिरों का जीर्णोद्धार, महावारसा सोसाइटी की स्थापना करना और गड-किलों का संवर्धन आदि विषय शामिल थे। बैठक में ठाकरे ने 6 गड-किलों राजगड, तोरणा, शिवनेरी, सुधागड, विजयदुर्ग और सिंधु दुर्ग के संरक्षण-संवर्धन के काम की प्रगति की समीक्षा की। साथ ही इस बारे में दुर्ग प्रेमी संगठनों की बैठक फिर से आयोजित करने और इन संगठनों को उनके क्षेत्र में गड-किलों की स्वच्छता रखने की काम देने पर विचार किया जाए।
मुख्यमंत्री के समक्ष महावारसा सोसाइटी के संदर्भ में प्रस्तुतीकरण पेश किया गया। इसमें कुल 377 संरक्षित स्मारक है। महावारसा सोसाइटी के कार्यक्षेत्र के संदर्भ में प्रावधानों को मान्यता देने के लिए कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव पेश करने की जानकारी दी गई। बैठक में नगर विकास मंत्री एकनाथ शिंदे, सांस्कृतिक कार्य मंत्री अमित देशमुख, सांस्कृतिक कार्य विभागा के राज्यमंत्री राजेंद्र यड्रावकर, मुख्य सचिव मनुकुमार श्रीवास्तव, मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रधान सलाहकार सीताराम कुंटे, सांस्कृतिक कार्य विभाग के सचिव सौरभ विजय, महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास महामंडल के व्यवस्थापकीय संचालक राधेश्याम मोपलवार आदि उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि आधुनिक महाराष्ट्र की गुफाओं को बनाने के लिए इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों और स्थानों का पता लगाया जाना चाहिए, उन्होंने गुफाओं का निर्माण करने के लिए उपयुक्त स्थानों, मूर्तिकारों की भौगोलिक स्थिति का अध्ययन करके एक संकल्प चित्र पेश करने का आदेश दिया।
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