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मुंबई : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने जिस तरह से अपने मुंबई दौरे पर शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नेताओं से मुलाकात के बाद कांग्रेस पर निशाना साधा है, उससे कांग्रेस के मंत्री न चाहते हुए मन मारे बैठे है। ममता ने जहां कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में बनी यूपीए के अस्तित्व को सीधे तौर चुनौती दी है, वहीं उन्होंने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के काम करने के तरीके पर भी सवाल उठाए है। खास बात यह है कि ममता ने मुंबई में महाराष्ट्र विकास आघाडी में शामिल शिवसेना के युवा नेता आदित्य ठाकरे और प्रवक्ता संजय राउत के अलावा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष शरद पवार के साथ मुलाकात की, लेकिन कांग्रेस नेताओं को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया।
वहीं शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नेताओं से मिलने के बाद ममता ने जिस तरह से कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर निशाना साधा, उसके बाद उम्मीद की जा रही थी कि शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी इस बारे में मुखर होकर कांग्रेस का साथ देगी। लेकिन इन दोनों पार्टियों के मौन धारण करने से महाविकास आघाडी के अंदर कांग्रेस अलग-थलग पड़ गई है। हालांकि, ममता के बयान के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले के साथ कैबिनेट मंत्री अशोक चव्हाण और बालासाहेब थोरात ने पलटवार किया, लेकिन इस आक्रमण में कांग्रेस नेताओं को शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का साथ नहीं मिला।
शिवसेना प्रवक्ता राउत ने तो यहां तक कह दिया कि कांग्रेस के नेता महाराष्ट्र में नहीं, बल्कि दिल्ली में रहते है। ऐसे में महाराष्ट्र विकास आघाडी सरकार में बने रहना कांग्रेस की मजबूरी बन गई है। सवाल यह भी उठ रहे हैं, कि क्या शरद पवार भी कांग्रेस के बिना नए यूपीए के गठन में ममता के मास्टर प्लान में शामिल हैं। क्या ममता ने अपनी मुंबई यात्रा से राज्य में कांग्रेस की स्थिति को और कमजोर कर दिया है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा है कि अगर कांग्रेस के बिना विपक्षी मोर्चे का गठन होता है तो इससे बीजेपी को मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि साल 2019 के लोकसभा चुनावों में इसी तरह के प्रयास करने की वजह से भाजपा को फायदा हुआ था। गुरुवार को पत्रकारों से बात करते हुए पटोले ने कहा कि कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी पिछले 7 साल से केंद्र की बीजेपी सरकार के खिलाफ एक सक्षम विपक्षी दल और नेता की भूमिका निभा रहे है। बीजेपी जैसी अलगाववादी ताकतों के खिलाफ लड़ना समय की मांग है। पटोले ने ममता बनर्जी का नाम लिए बिना कहा कि कुछ लोग ऐसा स्टैंड ले रहे हैं, जिससे बीजेपी को मदद मिलेगी।
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