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मुंबई : हम खुद को इस पृथ्वी का मालिक समझने लगे हैं, जमीन पर कानून हमारा है लेकिन प्रकृति के नियम इससे भिन्न हैं। अगर हम उन नियमों का पालन नहीं करते हैं तो प्रकृति अपने तरीके से न्याय करेगी। विकास का संकल्प लेकर विनाश की ओर तो नहीं जा रहे न, इसका विचार करने की आवश्यकता है। हमें अपने वनों और वन्यजीवों का संरक्षण करना ही होगा इसलिए ‘जियो और जीने दो’ इस मूलमंत्र को याद रखकर आगे बढ़ना होगा, ऐसा आह्वान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कल वन्यजीव सप्ताह के शुभारंभ में किया। सह्याद्रि गेस्ट हाउस में आयोजित इस कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री अजीत पवार वीडियो कॉन्प्रâेंसिंग प्रणाली के तहत उपस्थित थे। सह्याद्रि गेस्ट हाउस में पर्यटनमंत्री आदित्य ठाकरे, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव विकास खारगे, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक वीरेंद्र तिवारी आदि अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने आगे कहा कि हम कानून बनाते हैं और अपनी सुविधा के अनुसार उसका अर्थ निकालते हैं। विकास के पागल सपने को साकार करने के लिए हम क्या विनाश कर रहे हैं यह देखे बिना ही हम आज आगे बढ़ रहे हैं। चक्रवात और भारी बारिश इसके ही उदाहरण हैं। हम जंगलों में घुसपैठ कर रहे हैं। हमने प्रकृति पर आक्रमण किया और उनसे वह असहनीय हो गया तब प्रकृति अतिक्रमणों को अपने तरीके से हटा देती है इसलिए समझकर और विचार कर आगे बढ़ना आवश्यक है।
मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि स्कूली बच्चों में वन और वन्यजीव संरक्षण में रुचि पैदा करने के लिए इस विषय को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। नासिक में ‘मित्र’ नाम की एक संस्था स्थापित की गई है, जिससे पर्यावरण पूरक विषयों के अध्ययन में मदद होगी। भोजन, वस्त्र और मकान जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए हम जंगलों की तरफ जा रहे हैं। वहां बसनेवालों को पानी, बिजली आदि बुनियादी सुविधाएं वैâसे उपलब्ध कराई जाए, क्योंकि उन सुविधाओं को प्रदान करने के लिए लाखों पेड़ों की बलि देनी पड़ती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां जंगल ज्यादा होते हैं वहां बारिश ज्यादा होती है, लेकिन पिछले कुछ दिनों में स्थिति बदल रही है। अब चेरापूंजी में सबसे अधिक बारिश नहीं, बल्कि देश के अन्य हिस्सों में सर्वाधिक बारिश हो रही है। कोकण, मराठवाड़ा क्षेत्र में पहली बार ऐसी बारिश हुई है।
पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने कहा कि वनों, जलवायु परिवर्तन और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए पिछले दो वर्षों से राज्य में लगातार अपेक्षित विकास कार्य हो रहा है। सरकार ने मुंबई में ८०८ एकड़ आरे जंगल को आरक्षित वन घोषित किया है। इस प्रकार का काम दुनिया में शायद पहली बार हुआ है। राज्य में ९,८०० हेक्टेयर मैंग्रोव्ज क्षेत्र को आरक्षित वन घोषित किया गया है। निकट भविष्य में मुंबई के धारावी में भी मैंग्रोव्ज क्षेत्र घोषित किया जाएगा। वन रक्षकों को अधिक-से-अधिक सुविधाएं देने की जरूरत है। प्रदूषण रोकने के उद्देश्य से तलेगांव में विद्युत वाहनों का निर्माण किया जाएगा। सरकार वनों, मैंग्रोव्ज और वन्यजीवों के संरक्षण और संवर्धन करने के लिए कटिबद्ध है।
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