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मरुधर रत्न जैन हिन्दी साहित्य दिवाकर पूज्यपाद आचार्य देव
श्रीमद् विजय रत्नसेन सूरीश्वर म.सा आदि ठाना-5 आराधना भवन में बिराजमान है आज “आँसुओं की ताक़त” विषय पर प्रेरणादायी प्रवचन हुआ जिसमें आचार्य श्री ने कहा
की आसू व्यक्ति के जीवन के अभिन्न अंग हैं इसका सीधा संबध व्यक्ति की भावना के गहरे
तल से हैं। मनुष्य कभी कभी इस अतल-तल को स्पर्श कर भावुक होता है आँसु अपार दुख,आगध,पश्चाताप
और अकथनीय प्रेम के सच्चे संदेश वाहक है ।इनके
भावात्मक सामर्थ्य प्रबल होती है जिसके अभिव्यक्ति वाणी से नहीं हो सकती है आँसू के
बुंदे उस अभिव्यक्ति को प्रकट करने में सफल हो जाती है बहरहाल ख़ुशी और दुख की अवस्था
में निकलने वाले आँसुओं में भिन्नता होती है इस अवसर पर जैन संघ के सचिव संभव जैन,महेन्द्र
सुंदेशा,राजेश मेहता,अमित मेहता,सुरेश जैन,रंजीत मल मेहता,अभिसेक जैन,पुनीत खाटेड आदि
लोग धार्मिक कार्यक्रम में उपस्थित रहे
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