Breaking News
मुंबई, पुणे के पालकमंत्री चंद्रकांत पाटील और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के बीच चल रहे शीतयुद्ध के कारण ४०० करोड़ रुपए की विकास परियोजनाएं अधर में लटकी हुई हैं। जिला योजना समिति की बैठक में ४०० करोड़ का विकास कार्य मंजूर किया गया है। इन मंजूर विकास कार्यों के मिनट्स पर हस्ताक्षर न करने का दबाव अधिकारियों पर बनाया जा रहा है। परिणामस्वरूप अधिकारियों के हस्ताक्षर के बिना ४०० करोड रुपए के विकास कार्य अधर में लटके हुए हैं।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि अगर दस्तखत हुए तो पवार और अधिक देरी हुई तो पाटील ‘देखेंगे’, यानी दोनों दादाओं के कोपभाजन के शिकार अधिकारी होंगे। इस बात को लेकर अधिकारी डरे हुए है। महाविकास आघाड़ी सरकार में तत्कालीन पालकमंत्री रहे अजीत पवार ने अंतिम समय में ८०० करोड़ रुपए के कामों को मंजूरी देकर जिला के नेताओं और कार्यकर्ताओं को खुश किया था। परंतु चंद्रकांत पाटील ने पालकमंत्री का पद संभालने के साथ ही मंजूर कामों में कटौती कर भाजपा बाहुल्य वाले क्षेत्रों के लिए ४०० करोड़ रुपए की निधि को मंजूरी दी। अब ४०० करोड़ रुपए बिना हस्ताक्षर के अटक गए हैं, क्योंकि अधिकारियों पर उन विकास कार्यों को मंजूरी देनेवाली बैठक के मिनट्स पर हस्ताक्षर न करने का दबाव बनाया जा रहा है। इन दोनों ‘दादाओं’ की दबंगई के कारण संबंधित विकास कार्य ठप पड़े हैं।
अब फिर राजनीतिक समीकरण बदले और पवार के सत्ता में शामिल होने के बाद समस्या खड़ी हो गई है। जिस बैठक में निधि को मंजूरी दी गई थी, उसके मिनट्स को अंतिम रूप नहीं दिया गया था। इस अवसर का लाभ उठाते हुए, पवार ने मिनट्स को अंतिम नहीं होने दिया और इससे एक विवाद उत्पन्न हो गया। पाटील के हस्ताक्षर करने के दबाव और पवार के हस्ताक्षर न करने के विशेष प्रयासों के कारण अधिकारी भी असमंजस में हैं। पवार के इस कदम से हैरान पाटील आखिरकार मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पास भागे। इसके बाद भी ४०० करोड़ रुपए का विवाद अभी भी बना हुआ है।
रिपोर्टर