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लददाख में चीन के साथ चल रहे गतिरोध के बीच भारत ने 14000 फीट पर एक बड़ा सैन्य अभ्यास शुरू किया है। भारतीय सेना की स्ट्राइक कोर लद्दाख सेक्टर में एक्सरसाइज पर्वत प्रहार शुरू करने जा रही है। इस वारगेम में तोपखाने, बख्तरबंद और इन्फैंट्री के जवान शामिल होंगे। वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गतिरोध वाली जगहों के नजदीक होने वाले इस अभ्यास में देखा जाएगा कि दुश्मन के हमले की स्थिति में हमारे सैनिक सीमा पर मोर्चा संभालने के लिए कितने तैयार हैं। खास बात यह होगी कि इस बड़ी मिलिट्री एक्सरसाइज की समीक्षा करने के लिए आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी इस सप्ताह लद्दाख का दौरा करेंगे।सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी लेंगे जायजा
सैन्य सूत्रों ने अमर उजाला को बताया कि सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी भी इसी हफ्ते लद्दाख पहुंचेंगे, जहां वे युद्धाभ्यास में शामिल सैनिकों से मुलाकात भी करेंगे। भारत ने पहले ही पूर्वी लद्दाख में 2020 में चीनी सैनिकों के साथ गलवान में हुए खूनी संघर्ष के चलते 50,000 से ज्यादा सैनिकों की तैनाती कर रखी है। इसके अलावा 500 से अधिक टैंक और बख्तरबंद लड़ाकू वाहन तैनात किए हैं। इस वॉरगेम में भारतीय सेना की स्ट्राइक कोर आर्टिलरी के अलावा आर्म्ड व्हीकल्स को भी शामिल करेगी। इस वॉर एक्सरसाइज से भारतीय सेना को मौजूदा वक्त के हिसाब से नई टेक्नोलॉजी और नए कॉन्सेप्ट को समझने में मदद मिलेगी।
एलएसी पर आकाश और ब्रह्मोस एक्टिव
सूत्रों
के
मुताबिक
पर्वत
प्रहार
एक्सरसाइज
में
नए
हथियारों
की
तैनाती
शामिल
होगी।
इनमें
लोइटरिंग
म्यूनिशन,
पिनाका
मल्टी
बैरल
रॉकेट
लॉन्चर
(एमबीआरएल)
स्वार्म
ड्रोन,
काउंटर
ड्रोन
सिस्टम
और
सर्विलांस
सिस्टम
शामिल
होंगे।
सेना
ने
पहले
ही
एलएसी
के
पास
बड़ी
संख्या
में
आर्म्ड
यूनिट्स
की
तैनाती
कर
रखी
है,
जिनमें
T90 और
T72 मेन
बैटल
टैंक
शामिल
हैं।
इसके
अलावा,
K9 वज्र
सेल्फ-प्रोपेल्ड आर्टिलरी की तैनाती भी सीमा के पास की गई है। साथ ही, एय़र डिफेंस सिस्टम की बात करें, तो आकाश एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम के अलावा ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की तैनाती भी एलएसी पर की गई है।
हाई एल्टीट्यूड एरिया में 1 कोर और 17 कोर
सूत्रों का कहना है कि चीन से मिल रही चुनौती को देखते हुए 1 कोर और 17 कोर को हाल ही में एलएसी पर तैनात करने का फैसला किया गया था। इनमें से 17 माउंटेन स्ट्राइक कोर (एमएससी) को उत्तर पूर्व और सिक्किम में तैनात किया गया है, जबकि 1 स्ट्राइक कोर को लद्दाख में सीमा की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह स्ट्राइक कोर नॉर्दन कमांड के तहत 14 कोर में आती हैं, जिसका मुख्यालय निम्मू में है। तैनाती के बाद से ही ये दोनों स्ट्राइक कोर हाई एल्टीट्यूड एरिया में नई वारफाइटिंग कंसेप्ट को डेवलप करने का काम कर रही हैं। गलवान में हुई हिंसा के बाद भारत ने एलएसी पर भयंकर सर्दियों में भी सैनिकों की तैनाती को बनाए रखा है। भारत और चीन के बीच गतिरोध को पूरी तरह से खत्म करने के लिए सैन्य और राजनीतिक स्तर पर कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन देपसांग और डेमचोक को लेकर अभी भी गतिरोध बरकरार है।
भारत के पास चार स्ट्राइक कोर
बता दें, कि भारतीय सेना के पास मौजूदा वक्त में चार स्ट्राइक कोर हैं- मथुरा स्थित 1 कोर, अंबाला स्थित 2 कोर, भोपाल स्थित 21 कोर और 17 कोर। स्ट्राइक कोर की इस्तेमाल दुश्मन के खिलाफ तेजी से हमला करने के लिए किया जाता है। इनमें से 1 कोर पहले केवल पाकिस्तान की सीमा से लगे पश्चिमी क्षेत्र के लिए जिम्मेदार थी, लेकिन नए फैसले के तहत अब उसे चीन को काउंटर करने के लिए लद्दाख में तैनात किया गया है। इसी तरह, पानागढ़ स्थित 17 कोर, जो एकमात्र मौजूदा माउंटेन स्ट्राइक कोर है, उसे भी पूर्वोत्तर में तिब्बत-चीन सीमा पर तैनात किया गया है। हालांकि, 2021 तक केवल 17 एमएससी चीन पर केंद्रित रहे। बाकी तीन कॉर्प्स का फोकस पाकिस्तान पर रहा। लेकिन 2020 में हुई गलवान हिंसा के बाद उत्तरी और पूर्वी सीमाओं पर फोकस करने के लिए 1 कोर व 17 कोर का पुनर्गठन किया गया। 2 इन्फैंट्री डिवीजनों के साथ चीन की उत्तरी सीमाओं पर नजर रखने के लिए 1 कोर की भूमिका बढ़ाई गई। वहीं, पूर्वी थिएटर पर ध्यान देने के लिए 17 कोर को एक अतिरिक्त डिवीजन दिया गया। इतना ही नहीं, चीन के साथ सैन्य गतिरोध के चलते 17 कोर के कुछ एसेट्स को पूर्वी लद्दाख में भी तैनात किया गया।
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