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इस वक्त कई हजार उपग्रह मलबों में तब्दील होकर ऊपर घूम रहे हैं। अब खगोलविदों का मानना है कि अंतरिक्ष की गुत्थी सुलझाने में ये बाधक बन रहे हैं क्योंकि इनसे रिफलेक्ट होकर वहां अंतरिक्ष में प्रकाश प्रदूषण उत्पन्न हो रहा है। इससे नजर आनेवाले तारों में कमी आ गई है। वे बढ़ते प्रकाश के कारण नजर नहीं आ रहे।
अंतरिक्ष में इस समय उपग्रहों की भीड़ बढ़ती जा रही है। आज विज्ञान जिस तेजी से तरक्की कर रहा है उसके लिए ये जरूरी भी है। मौसम व कृषि से लेकर तमाम तरह की वैज्ञानिक गतिविधियों के संचालन में इन उपग्रहों का बड़ा महत्व है। खासकर अब इंटरनेट के क्षेत्र में भी इन उपग्रहों का खासा महत्व बढ़ा है। एक अनुमान के अनुसार इस समय विभिन्न देशों के करीब १० हजार उपग्रह अंतरिक्ष की अपनी कक्षाओं में चक्कर लगा रहे हैं। मगर इसके खतरे भी हैं। हर उपग्रह की अपनी दो-चार या दस साल की आयु होती है। उसके बाद ये मलबे में तब्दील हो जाते हैं। ऐसे में इस वक्त कई हजार उपग्रह मलबों में तब्दील होकर ऊपर घूम रहे हैं। अब खगोलविदों का मानना है कि अंतरिक्ष की गुत्थी सुलझाने में ये बाधक बन रहे हैं क्योंकि इनसे रिफलेक्ट होकर वहां अंतरिक्ष में प्रकाश प्रदूषण उत्पन्न हो रहा है। इससे अंधेरे में नजर आनेवाले तारों में कमी आ गई है। वे बढ़ते प्रकाश के कारण नजर नहीं आ रहे।
गौरतलब है कि १९५७ में पहला कृत्रिम उपग्रह, स्पुतनिक-१ के प्रक्षेपण के बाद से, संचार से लेकर मौसम की भविष्यवाणी, जीपीएस और अनुसंधान तक, असंख्य कार्यों को पूरा करने के लिए इनका उपयोग हो रहा है। पहले अंतरिक्ष पर अमेरिका व रूस का ही दबदबा था, पर अब समय के साथ कई निजी खिलाड़ियों ने भी मैदान में प्रवेश किया है। इससे पृथ्वी और अंतरिक्ष दोनों बाजार में होड़ बढ़ गई है। ये वहां अंतरिक्ष में अपने उपग्रहों का तारामंडल बना रहे हैं। इससे खगोलविदों के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। हाल ही में मशहूर विज्ञान पत्रिका ‘नेचर एस्ट्रोनॉमी’ में प्रकाशित लेखों की एक श्रृंखला में खगोलविदों ने प्रकाश प्रदूषण के बारे में चेतावनी देते हुए बताया है कि यह वैâसे उनके पेशे के लिए खतरा है। खतरा कितना बड़ा है यह इसी से समझा जा सकता है कि सिर्फ पिछले चार सालों में ही पृथ्वी की निचली कक्षा में उपग्रहों की संख्या दोगुनी हो गई है। यह तीव्र विकास एलेन मस्क के स्पेसएक्स रॉकेट द्वारा हजारों उपग्रहों वाले पहले मेगा-रॉकेट के प्रक्षेपण के बाद हुआ है। कंपनी उपग्रह से इंटरनेट की पेशकश करने के लिए ‘अंतरिक्ष में स्टारलिंक’ नामक एक उपग्रह इंटरनेट तारामंडल स्थापित कर रही है। स्टारलिंक में पहले से ही ३,५०० से अधिक उपग्रह शामिल हैं।
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