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मुंबई, सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) ने केंद्र सरकार की पोल खोल दी है। सीएमआईई के अनुसार, अप्रैल में यह बेरोजगारी बढ़कर ८.११ प्रतिशत पर पहुंच गई है। इससे पहले मार्च में बेरोजगारी दर ७.८० प्रतिशत पर थी, वहीं फरवरी में ये ७.४५ प्रतिशत रही थी।
दिसंबर में बेरोजगारी दर ८.११ प्रतिशत रहने का मतलब यह है कि काम करने को तैयार हर १,००० वर्कर में से ८१ को काम नहीं मिल पाया। सीएमआईई हर महीने १५ से अधिक उम्र के लोगों का घर-घर जाकर सर्वे करती है और उनसे रोजगार की स्थिति की जानकारी लेती है। इसके बाद जो परिणाम मिलते हैं, उनसे रिपोर्ट तैयार की जाती है।
अप्रैल में शहरी बेरोजगारी ८.५१ प्रतिशत से बढ़कर ९.८१ प्रतिशत पर पहुंच गई है। हालांकि, अप्रैल में ग्रामीण बेरोजगारी में मामूली गिरावट देखने को मिली है। यह ७.३४ प्रतिशत हो गई, जो एक महीने पहले ७.४७ प्रतिशत थी। उक्त रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल में जो नए लोग रोजगार के लिए मार्वेâट में आए हैं, उनमें से ८७ प्रतिशत को नौकरी मिली है। इसका कारण है कि इस महीने में अतिरिक्त २.२१ करोड़ नई नौकरियां आर्इं। इसके अलावा अप्रैल में २.५ करोड़ लेवर फोर्स बढ़ी है। इसके बाद देश में कुल लेवर फोर्स ४६.७ करोड़ पर पहुंच गई है।
पिछले साल यानी २०२२ में ३ बार बेरोजगारी दर ८ प्रतिशत के पार चली गई थी। फरवरी में यह ८.१० प्रतिशत, अगस्त में ८.२८ प्रतिशत, नवंबर में ८.०३ प्रतिशत और दिसंबर में ८.३० प्रतिशत रही थी, वहीं सबसे कम बेरोजगारी सितंबर में थी। तब बेरोजगारी दर ६.४३ प्रतिशत पर आ गई थी।
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