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मुंबई, देश में झूठे मुकदमों में अपने विरोधी को फंसाने के मामले में हाल के वर्षों में तेजी आई है। देश के कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में दूसरों को फंसाने के लिए बीते एक साल में सवा लाख झूठे मुकदमे दर्ज किए गए हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के डाटा की मानें तो देश के कई राज्यों में दहेज, रेप, चोरी-डवैâती, छेड़खानी, एससीएसटी एक्ट के झूठे मुकदमों ने कई लोगों की जिंदगी बर्बाद कर दी है। देश में झूठे और फर्जी मुकदमा कराने वाले राज्यों में राजस्थान, आंध्रप्रदेश, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और बिहार ने रिकॉर्ड बनाया है।
केंद्र शासित प्रदेशों की बात करें तो दिल्ली इसमें टॉप पर है। देश की राजधानी दिल्ली में पिछले साल १०३०२९ केस दर्ज किए गए, जिनमें ९०२ केस फर्जी पाए गए है। इसी तरह चंडीगढ़ में १२१, पुडुचेरी में ४७ और दादर एंड नगर हवेली में १२ केस फर्जी मिले, वहीं देश के ८ राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में दर्ज मुकदमों में एक भी गलत नहीं पाया गया। अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड और सिक्किम में एक भी केस झूठा नहीं पाया गया। इसी तरह केंद्र शासित प्रदेश अंडमान निकोबार द्वीप समूह, दमन एंड दीव और लक्ष्यद्वीप में एक भी केस फर्जी नहीं पाया गया। इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में दर्ज सभी केस में पुलिस ने आरोपियों को चार्जशीट किया है।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने पिछले दिनों एक आरटीआई के जवाब में स्वीकार किया है कि बीते एक साल में देश में १.२२ लाख से अधिक झूठे केस दर्ज कराए गए हैं। पुलिस अनुसंधान में इन मुकदमों में लगाए गए आरोपों की पुष्टि नहीं हो सकी है। लोगों के द्वारा कुछ कानूनों के दुरुपयोग के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। एनसीआबी की रिकॉर्ड बताती है कि दूसरों को फंसाने के लिए लोग किस कदर गिर जाते हैं और वह कानून का दुरुपयोग करते। एनसीआरबी ने देश के २९ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का डाटा जारी किया है। एनसीआरबी ने यह डाटा एक आरटीआई के जवाब में दिया है।
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