मुंबई, महंगाई और बेरोजगारी से नाराज जनता द्वारा कर्नाटक चुनाव में दिए गए जनादेश से घबराई भाजपा अब खासतौर पर चुनावी बाजीगरी में जुट गई है। कर्नाटक में मिली शर्मनाक हार के बाद केंद्र सरकार की ओर से अब दावा किया जा रहा है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर बेहद कम हो चुकी है। जबकि जनता इस पर सवाल खड़े कर रही है। क्योंकि देश के ज्यादातर हिस्सों में पेट्रोल अभी भी १०० रुपए तो रसोई गैस एक हजार रुपए के पार चल रहा है, तो वहीं बीते कुछ महीनों में चावल के साथ-साथ गेंहू भी प्रति क्विंटल १०० से अधिक महंगा हुआ है। इसी तरह दाल की कीमतों में दो फीसदी तक की वृद्धि हुई है जबकि थोक बाजार में खाद्य तेल की कीमतें काफी कम होने के बावजूद खुदरा बाजार में ग्राहकों को अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा है। दावा किया जा रहा है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर नवंबर २०२१ के बाद पहली बार अप्रैल में गिरकर ५ प्रतिशत से नीचे आई। भारतीय रिजर्व बैंक की अर्थव्यवस्था की स्थिति पर जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि महंगाई दर में अनुमान से तेज गिरावट आई है। डिप्टी गवर्नर एमडी पात्र सहित रिजर्व बैंक के स्टाफ द्वारा लिखी गई रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अप्रैल २०२३ में खुदरा मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर से संकेत मिलता है कि अनुमान की तुलना में तेज गिरावट आई है। अप्रैल महीने में प्रमुख महंगाई दर तेजी से गिरकर ४.७ प्रतिशत रह गई है, जो मार्च में ५.७ प्रतिशत थी। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अप्रैल २०२३ में प्रमुख महंगाई दर घटकर ५ प्रतिशत से नीचे आना सबसे उत्साहजनक प्रगति है।
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