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मुंबई, महानगर मुंबई में लोगों की दिनचर्या के चलते अब हार्ट की बीमारी आम हो गई है। इससे मरने वालों की संख्या में भी तेजी से इजाफा हुआ है। यहां तक कि सबसे घातक बीमारी कैंसर को भी हार्ट की बीमारी ने पछाड़ दिया है। जी हां, शहर में कैंसर से रोज मरने वाले २५ हैं तो हार्टअटैक से मरने वालों की संख्या २६ हो गई है। वर्ष २०२२ में हार्टअटैक से ९,४७० लोगों की मौत हुई, जबकि कैंसर से ९,१४६ लोगों की मौत हुई। आरटीआई में यह खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में स्पष्ट है कि शहर में अब सबसे ज्यादा लोग हार्टअटैक से मरने लगे हैं। कोरोना ने जैसे-जैसे दम तोड़ा है, वैसे-वैसे हार्ट के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, वर्ष २०२२ में मुंबई के मृत्यु चार्ट पर `कोविड प्रभाव’ काफी कम हो गया है। मुंबई में कोरोना से २०२० में १०,२८९ और २०२१ में ११,१०५ और २०२२ में १,८९१ मौतें हुर्इं। लेकिन अन्य बीमारियां हावी हो गर्इं, कैंसर से ९,१४६ मौतें हुई हैं, जबकि हार्टअटैक से ९,४७० लोगों की मौत हुई है। हालांकि, कुल मृतकों की संख्या कम हो गई है। मनपा में कुल मौतें क्रमश: २०२० और २०२१ में १.११ लाख और १.०८ लाख थी और वर्ष २०२२ में कुल मृत्यु घटकर ९४,५३८ हो गई। टीबी से मरने वालों की संख्या हुई कम
मुंबई के मृत्यु चार्ट में टीबी बीमारी से मरने वालों की संख्या में कमी आई है। २०२२ में टीबी के कारण ३,२८१ मौतें हुर्इं, जबकि २०१८ में यह संख्या ४,९४० थी। एक अधिकारी के अनुसार, अब बेहतर टीबी की दवा और रोगियों की बेहतर ट्रैकिंग से टीबी से मरनेवालों की संख्या कम हो रही है। मनपा की कार्यकारी स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मंगला गोमारे ने कहा कि टीबी से परिणामस्वरूप एक दशक पहले की तुलना में अब कम मौतें हुई है। दक्षिण मुंबई निवासी चेतन कोठारी ने यह जानकारी आरटीआई से निकाली है। उनको मिली जानकारी में मौत के आंकड़ों को पर्याप्त रूप से वर्गीकृत नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि हमें केवल ३० हजार मौतों का कारण मिला है और ६०,५५५ मौतों का कारण अन्य बीमारियों को बताया गया है।
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