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मुंबई, ओडिशा के बालासोर में हुई ट्रेन दुर्घटना में अब तक २८८ लोगों की मौत हो गई है, जबकि एक हजार से अधिक लोग घायल हैं। इस हादसे के बाद से लगातार ट्रेन की सुरक्षा को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे हैं। देश के अधिकांश क्षेत्र में अभी मैनुअल से काम लिया जाता है। मैनुअल के रूप से काम लेना लोगों के लिए जान का खतरा साबित हो रहा है। रेल सुरक्षा आयुक्त की वेबसाइट के अनुसार, रेल कर्मचारियों द्वारा काम करने में गलती होने के कारण ट्रेन दुर्घटनाएं ज्यादा हुई हैं। २०१९-२० में ६४.९१ फीसदी है,जबकि वर्ष २०१८-१९ के दौरान यह ६१.९० फीसदी था। हादसे से रेलवे की लापरवाही सामने आई है, जिन ट्रेनों का हादसा हुआ है। उसमें एंटी कोलेजन डिवाइस लगा ही नहीं था। इन दोनों ट्रेन में यह डिवाइस लगा होता तो दुर्घटना से बचने के साथ ही यात्रियों की जान बचाई जा सकती थी। यह डिवाइस अभी भी हजारों ट्रेनों नहीं में लगाए गए बिना हैं।
होसदुर्गा (एचएसडी) बिरुर-चिकजाजुर सेक्शन में शिवानी और रामगिरी के बीच डबल लाइन स्टेशन है। यह ४-लाइन वाला स्टेशन है जिसमें-१ कॉमन लूप, रोड-२, डाउन , रोड-३ अप एम/एल और रोड-४ अप लूप लाइन है। ८ फरवरी २०२३ को लगभग १७.४५ बजे एक बहुत ही गंभीर असामान्य घटना घटी, जिसमें अप ट्रेन संपर्क क्रांति एक्सप्रेस के लोको-पायलट ने एक पॉइंट पहले ट्रेन को यह देखते हुए रोक दिया था कि पॉइंट मेन लाइन (गलत लाइन) के नीचे सेट था, जबकि पीएलसीटी के अनुसार ट्रेन को मेन लाइन के माध्यम से गुजरना था। हालांकि, लोको पायलट की सतर्कता के कारण, ट्रेन को गलत लाइन (डाउन लाइन) में प्रवेश करने से पहले रोक दिया गया और एक बड़ी दुर्घटना होने से टल गई, जिससे ट्रेन संख्या १२६४९ संपर्क क्रांति एक्सप्रेस एक डाउन मालगाड़ी से टकरा जाती।
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