Breaking News
मुंबई, खबर है कि देश की सबसे बड़ी एयरलाइंस इंडिगो ने एयरबस से एक बड़ी डील की है। ५०० नए ए३२० विमान खरीद की। संभव है एयरबस गो-एयर के जमीं पर आने और स्पाइस जेट पर मंडराते खतरे के बीच भारतीय बाजार में अपनी उड़ान को और ऊंचा करना चाहती है। बहुत संभव है कि वो इसमें सफल भी हो जाए, क्योंकि इस वक्त देश में इंडिगो के ऑपरेशन्स की तुलना में किसी भी अन्य एयरलाइंस को विश्वसनीयता नहीं हासिल है। यही उसे देश की सबसे बड़ी एयरलाइन बनाने में मददगार भी है। उससे किसी की कड़ी स्पर्धा नहीं है। एयर इंडिया का स्वामित्व व संचालन टाटा समूह के हाथ जाने के बाद भी प्रतिस्पर्धा का माहौल नहीं बन पाया। जिसका अब पूरा लाभ इंडिगो उठाना चाहती है, पर वो अपने इरादों में कितना सफल हो सकेगी, इस पर भी एक सवालिया निशान है।
गो-एयर दिवालिया प्रक्रिया का हिस्सा बन चुकी है और बहुत संभव है कि जेट, सहारा, किंगफिशर के बाद स्पाइसजेट भी गंभीर संकटों में से निकल न पाए। स्पाइसजेट को लीज पर विमान देनेवालों का लगातार दबाव झेलना पड़ रहा है। ऐसे में निश्चित तौर पर इंडिगो का रास्ता साफ होता है, साथ ही एक खतरा भी खड़ा होता है। आखिर ५०० विमानों में इस्तेमाल होनेवाले जेट इंजिनों का मुद्दा वैâसे निपटेगा? पश्चिमी देशों की ये विमानन कंपनियां जेट इंजिन्स के लिए प्रेट एंड व्हिटनी जैसी कंपनियों पर ही तो निर्भर हैं, जिनके चलते गो-एयर जमीन पर आ गई। पहले एयर इंडिया के ४७० विमानों (२५० एयरबस, २२० बोइंग) के ऑर्डर और उसके बाद इंडिगो के ५०० विमानों के लिए इतने इंजिन कहां से आएंगे? दूसरा, भारतीय विमानन कंपनियों की डिमांड को पश्चिमी एयरप्लेन मैन्युपैâक्चर्स कितनी प्राथमिकता देंगे। दुनियाभर में एविएशन सेक्टर तेजी से पैâल रहा है। चारों ओर डिमांड है और मुख्य आपूर्तिकर्ता बोइंग और एयरबस ही हैं।
रिपोर्टर