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मुंबई, अजीत पवार अपनी विशेष शैली के लिए मशहूर हैं। राज्य की ईडी सरकार में शामिल होने के बाद उन्होंने अपनी पुरानी शैली को अपनाते हुए भाजपा पर हावी होना शुरू कर दिया है। यानी उन्होंने अपनी दादा ‘गिरी’ शुरू कर दी है। इसके साथ ही उन्होंने मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर देवेंद्र फडणवीस पर वादों को पूरा करने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है। इसी दबाव के चलते मंत्रिमंडल का विस्तार अधर में लटका हुआ बताया जा रहा है।
राकांपा से बगावत कर अजीत पवार राज्य की शिंदे-फडणवीस यानी ईडी सरकार में शामिल हुए। सरकार में शामिल हुए करीब एक सप्ताह हो गया, परंतु मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो सका। मंत्रिमंडल का विस्तार न होने के पीछे भाजपा द्वारा अजीत दादा गुट को दिए गए आश्वासन को पूरा न करना बताया जा रहा है। आश्वसन न पूरे होने के कारण भाजपा और दादा गुट में नाराजगी की चर्चा जोरों पर है। देवेंद्र फडणवीस के सागर बंगले पर गत दिवस अजीत पवार और देवेंद्र फडणवीस के बीच बैठक हुई। इस बैठक में अजीत पवार गुट ने मंत्री पद दिए जाने को लेकर समाधान व्यक्त नहीं किया है, जिसके कारण मंत्रिमंडल का विस्तार अधर में लटकने की चर्चा है।
बताया जाता है कि अजीत पवार गुट को मंत्रिमंडल में शामिल होने से पहले भाजपा द्वारा जिन विभागों को देने का आश्वासन दिया गया था वह विभाग नहीं दिया जा रहा है, जिसके कारण दादा गुट में बेचैनी बढ़ गई है। अजीत पवार गुट को वित्त, गृह, जलसंपदा विभाग देने के लिए शिंदे गुट और भाजपा तैयार नहीं है। इसकी जगह राजस्व या ऊर्जा विभाग देने की तैयारी भाजपा ने दिखाई है, ऐसी जानकारी भाजपा के सूत्रों ने दी है। सरकारी निवास और मंत्रियों के कार्यालय का वितरण हो चुका है, लेकिन विभागों का बंटवारा अभी तक नहीं हुआ है जिससे दादा गुट में खलबली मची हुई है। ऐसी चर्चा है कि विभागों के बंटवारे को लेकर जल्द ही देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार में बैठक होने की संभावना है।
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