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मुंबई, अकेले में पोर्न देखना अश्लीलता का अपराध नहीं है। इस संबंध में केरल हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह एक व्यक्ति के खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया। आरोपी व्यक्ति को पुलिस ने अपने मोबाइल फोन पर अश्लील वीडियो देखने के आरोप में सड़क किनारे से गिरफ्तार किया था। आरोपी की याचिका पर सुनवाई करते हुए केरल हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति पी.वी. कुन्हिकृष्णन ने कहा कि अकेले में पॉर्न वीडियो देखना अश्लीलता के तहत अपराध में नहीं आता है। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई `निजी तौर पर’ अश्लील वीडियो देखता है और वह किसी दूसरे को नहीं भेजता है या पब्लिक में सबके सामने नहीं देखता है तो यह आईपीसी के तहत अश्लीलता के अपराध में नहीं आएगा। आदेश में कहा गया है कि ऐसा कंटेंट देखना किसी व्यक्ति की निजी पसंद है और न्यायालय उसकी निजता में हस्तक्षेप नहीं कर सकता।
मिली जानकारी के अनुसार, पैâसले में स्पष्ट किया गया है कि किसी अश्लील वीडियो को दूसरों को दिखाए बिना निजी तौर पर देखना भारतीय दंड संहिता की धारा २९२ के तहत अश्लीलता का अपराध नहीं होगा। कोर्ट ने कहा, `इस मामले में जो सवाल है वो यह कि क्या कोई व्यक्ति अपने निजी समय में दूसरों को दिखाए बिना पोर्न वीडियो देखता है तो यह अपराध की श्रेणी में आता है? कानून की अदालत यह घोषित नहीं कर सकती कि यह अपराध की श्रेणी में आता है क्योंकि यह उसकी निजी पसंद है और इसमें हस्तक्षेप करना उसकी निजता में घुसपैठ के समान है।’
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