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मुंबई, मुंबई समेत महाराष्ट्र के सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में बीते कई महीनों से दवाओं की भारी किल्लत है, जो मरीजों के लिए समस्याएं पैदा कर रही है। गरीब मरीजों को मजबूरन अधिक कीमत देकर बाहरी मेडिकल स्टोरों से दवाइयां व इलाज के लिए आवश्यक अन्य सामान खरीदने पड़ रहे हैं। इससे पूरे प्रदेश में ईडी सरकार की जमकर किरकिरी हो रही है। इस बदनामी से ईडी सरकार की आंखें खुल गई हैं और पिछली महाविकास आघाड़ी सरकार में स्वास्थ्य संसाधनों से संबंधित तैयार किए गए प्रस्तावों को दनादन मंजूरी देते हुए लगातार शासनादेश जारी कर रही है। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि आनेवाले दिनों में मुंबई समेत प्रदेश के लगभग सभी सरकारी अस्पतालों में दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की भरमार हो जाएगी।
उल्लेखनीय है कि हाफकिन कॉर्पोरेशन ने इस साल १,५०० करोड़ रुपए के बजटीय आवंटन में से ६५० करोड़ रुपए का उपयोग नहीं किया। नतीजतन कई सरकारी अस्पतालों में दवाएं और उपकरण खत्म हो रहे हैं। मौजूदा सरकारी स्वामित्व वाला हाफकिन बायो फॉर्मास्युटिकल कॉरपोरेशन दवाओं व उपकरणों की खरीदी में देरी कर रहा है। इस कारण प्रदेश के कई सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य विभाग के अधीन आनेवाले स्वास्थ्य केंद्रों में दवाओं की भारी कमी देखी जा रही है। दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की किल्लत ने मरीजों और उनके परिजनों को हलकान कर दिया है। अस्पतालों में सभी दवाइयां न मिलने से इलाज के लिए आनेवाले मरीजों को मजबूरन बाहर स्थित मेडिकल स्टोरों पर जाकर अधिक कीमत का भुगतान करके दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं। कई दवाएं इतनी महंगी होती हैं, जो उनके बजट के बाहर होती हैं। हालांकि, प्रदेश के अस्पतालों में बिगड़ी स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने में ईडी सरकार नाकाम साबित हो रही थी। उसकी इस नाकामी को लेकर महाराष्ट्र की जनता में जमकर बदनामी हो रही थी। इससे बचने के लिए मौजूदा सरकार को मजबूर महाविकास आघाड़ी सरकार के कार्यकाल में दवाओं और मेडिकल उपकरण की खरीददारी को लेकर तैयार किए प्रस्तावों को मंजूर करते हुए लगातार शासनादेश जारी कर रही है।
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