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मुंबई: राजनीति के चाणक्य समझे जाने वाले शरद पवार विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष पार्टी के कब्जे और अजीत पवार के साथ जाने वाले विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने का मुकदमा हार गए हैं। इससे पहले चुनाव आयोग में भी शरद पवार पार्टी पर कब्जे का मुकदमा हार चुके हैं। उनका भतीजा अजीत पवार उनकी आंखों के सामने से उनकी स्थापित और गठित पार्टी ले उड़ा और चाचा चाणक्य हाथ मलते रह गए। महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने गुरुवार को फैसला सुनाने से पहले कहा कि उनके सामने तीन प्रश्न हैं। पहला ये है कि पार्टी का संविधान क्या है और उसके लक्ष्य क्या हैं? दूसरा यह है कि संविधान के अनुसार पार्टी के संगठनात्मक पदों पर किसका कब्जा है? और तीसरा यह कि निर्वाचित उम्मीदवारों का बहुमत किसके पास है?
विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पार्टी की नेतृत्व संरचना या पार्टी संगठन से यह निर्धारित नहीं होता कि कौन सा गुट असली पार्टी है। इसलिए, मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि विधायक दल पर बहुमत के हिसाब से अजीत पवार गुट ही वास्तविक एनसीपी है। पार्टी के 53 में से 41 विधायक अजीत पवार के साथ हैं। शरद पवार के पास सिर्फ 12 विधायक हैं। लिहाजा अजित पवार गुट को विधायक दल का समर्थन हासिल है। अजित पवार गुट को पदाधिकारियों और नेताओं का अधिक समर्थन प्राप्त है।
शरद पवार समूह ने इस संबंध में अजीत पवार समूह द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों को भी चुनौती नहीं दी है। इसलिए अजित पवार गुट को ही असली एनसीपी का दर्जा है। विधानसभा अध्यक्ष ने इसी निष्कर्ष के आधार पर अजित पवार गुट के विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए शरद पवार गुट की ओर से दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया। इसके साथ ही अजित पवार गुट के विधायक योग्य करार दिए गए।
विधानसभा अध्यक्ष ने यह कहते हुए अजीत पवार गुट की तरफ से शरद पवार गुट के विधायकों के खिलाफ दायर अपात्रता याचिकाओं को भी खारिज कर दिया कि यह दो गुटों, अजित पवार और शरद पवार के बीच का अंदरूनी विवाद है। इसलिए किसी ने पार्टी नहीं छोड़ी है। इसलिए दसवीं सूची के मुताबिक कार्रवाई नहीं की जा सकती। यह नहीं कहा जा सकता कि अजित पवार गुट ने राष्ट्रवादी कांग्रेस में बगावत की थी या पार्टी नेतृत्व के खिलाफ काम किया था।
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