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पुणे, पिछले एक हफ्ते में पुलिस ने विश्रांतवाड़ी, कुरकुंभ और दिल्ली में छापेमारी कर ३,५०० करोड़ रुपए की १,८०० किलोग्राम ड्रग्स जब्त की है। पुणे पुलिस ने विश्रांतवाड़ी में एक नमक गोदाम पर छापा मारा और ५५ करोड़ रुपए का मेफेड्रोन जब्त किया। मेफेड्रोन का निर्माण दौंड तालुका के कुरकुंभ एमआईडीसी में एक कंपनी में किया जा रहा था और इसे नेपाल के रास्ते दूसरे देशों में भेजा जा रहा था। उसी समय, सांगली के कुपवाड से ३०० करोड़ रुपए की १४० किलो एमडी ड्रग्स पुलिस ने जब्त की। नमक की पुड़िया में ‘एमडी’ ड्रग्स बेची जाती थी और यह पुड़िया पुणे के कॉलेज युवाओं को आसानी से मिल रही है। इससे पहले नासिक में ड्रग्स को लेकर बड़ी कार्रवाई हुई, लेकिन नासिक में ड्रग्स कारोबार के मास्टरमाइंड ललित पाटील का पुणे में बड़ा नेटवर्क है और इसी वजह से वह ससून अस्पताल से भागने में कामयाब रहा। पुणे, नासिक, सांगली जैसे इलाके नशे के जाल में फंसे हैं। नासिक का एक बड़ा युवा वर्ग नशे की गिरफ्त में है और नासिक शहर में पान की टपरी पर भी नशे की चीजें खरीदी जाती हैं। जागरूक नासिक वासियों ने कलेक्टर कार्यालय पर विशाल मोर्चा निकाला। लेकिन अभी भी नशे की पकड़ कम होती नहीं दिख रही है। अब तिलक, गोखले का पुणे भी नशे की लत में तड़पता नजर आ रहा है। इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
पुणे में नए पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार आए। आते ही पुणे में गुंडों की परेड निकालकर उन्होंने सुर्खियां बटोर लीं, लेकिन उन गुंडों को राजनीतिक आश्रय देने वालों की ‘परेड’ करने का साहस वे नहीं दिखा सके। यह ठीक है कि पुणे में गुंडों की परेड निकाली गई, लेकिन उसी परेड के बाद पुणे में निखिल वागले पर राजनीतिक गुंडों ने हमला कर दिया। खुलेआम रास्ते में उनकी गाड़ी तोड़ दी गई। उन्हें मारना ही चाहते थे लेकिन किस्मत से वागले बच गए। वागले, असीम सरोदे, विश्वंभर चौधरी ‘निर्भय बनो’ कार्यक्रम के लिए पुणे आए, लेकिन गुंडों ने उन्हें रोकने की कोशिश की। पुलिस ने इन गुंडों के खिलाफ क्या कार्रवाई की? यहां तक कि इन गुंडों के सिर पर भी सत्ता और फिरौती के पैसों का नशा चढ़ गया है और वे पुणे के रास्तों पर खुलेआम कुछ भी कर लें तो उनका कौन क्या बिगाड़ लेगा? यदि उनके सिर चढ़े इस नशे को पुलिस नहीं उतार सकती है तो पुलिस की उस परेड का कोई मतलब नहीं बनता। पुणे में जगह-जगह पर गुंडों के ठिकाने और ड्रग्स सप्लाई सेंटर बनाए गए हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो वेताल हिल पर बेहोश लड़कियों की भयावह तस्वीर दिखती ही नहीं। कानून का राज्य का मतलब सिर्फ पुलिस लाठियां और उनके हाथों में बंदूकों का राज्य नहीं। कानून का राज्य नैतिकता और सभ्य लोगों का राज्य होता है। महाराष्ट्र में नैतिकता का अधोपतन हो रहा है। कोई राजनीतिक नैतिकता नहीं बची है। चाहे जिस तरीके से हो, पैसे जमा करना और उस पैसे से सत्ता प्राप्त करना। इतनी भारी मात्रा में पैसा नशे के व्यापार से व उसमें हफ्ताउगाही से प्राप्त किया गया हो, इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। पैसे और सत्ता की इसी चाह के कारण मुंबई, पुणे, नागपुर, नासिक जैसे शहर नशे के अधीन हो गए हैं। लड़कों के पास कोई रोजगार नहीं। अच्छे से जीना नहीं। जीने की कोई गरिमा नहीं। परीक्षा में कदाचार जारी है। शिक्षा का उपयोग नहीं। सरकार रोजगार, नौकरी के झूठे वादे कर रही है। इसी हताशा के चलते अगर राज्य के तरुण अपने गले में नशे का फंदा कस रहे हैं तो इसके लिए दिल्ली-महाराष्ट्र के मौजूदा हुक्मरान जवाबदेह हैं। पुणे के वेताल हिल पर दो बेहोश कॉलेज लड़कियों की भयावह तस्वीर प्रतीकात्मक है। नमक की पुड़िया स्कूल, कॉलेज और घरों तक पहुंच गई हैं। गार्जियन को इस बात की कोई जानकारी नहीं। उन दोनों नशेड़ी युवतियों के माता-पिता भले ही उनके घर में कदाचित निश्चित रहे हों, लेकिन कल का वीडियो देखकर उनके पैरों तले जमीन खिसक गई होगी। महाराष्ट्र में जुआ, ड्रग्स, जबरन वसूली और हत्याओं ने कहर बरपा रखा है। वेताल हिल की भयावहता चौंकाने वाली है।
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