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आचार्य के जनहित के कार्यों को याद कर जीवन जीने के तरीके को सीखे
पाली के अनुभव स्मारक में मुनि सुमति कुमार के सानिध्य में आचार्य महाप्रज्ञ की 105वीं जन्म जयंती मनाई गई। कार्यक्रम की शुरुआत मुनि सुमति कुमार ने नमस्कार महामंत्र से की। इस मौके देवार्य मुनि ने कहा कि जन्मदिन उत्सव के रूप में इसलिए मनाया जाता है कि हम उनके किए कार्यों को याद करते हुए जीवन सही तरीके से जीना और आगे बढ़ना सीख सकें।उन्होंने आचार्य महाप्रज्ञ के आयाम के बारे में बताया। प्रेक्षा, ध्यान और महाप्राण ध्वनि के महत्व को समझाया। मुनि ने बताया की महाप्राण ध्वनि सिर्फ बच्चों के लिए नहीं हम सभी बड़ों के लिए भी लाभकारी है। उन्होंने आचार्य महाप्रज्ञ के व्यक्तित्व के बारे में बताते हुए कहा कि आचार्य श्री के व्यक्तित्व की ऊंचाई और गहराई अमाप्य थी। आचार्य महाप्रज्ञ के साहित्य मानव जाति के लिए वरदान है।मुनि सुमति कुमार ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ को गुरु का वात्सल्य प्राप्त था एवं वे अपने गुरु आचार्य तुलसी के प्रति पूर्ण समर्पित थे। आचार्य महाप्रज्ञ के बचपन के दृष्टांत को बताते हुए बताया कि उनका बचपन का नाम नथमल था और वे बहुत ही सरल, शांत स्वभावी एवं समझदार थे। उनके दिक्षा गुरु आचार्य कालूगणी थे एवं शिक्षा गुरु आचार्य तुलसी थे। मुनि नथमल संस्कृत के बहुत ही अच्छे विद्वान थे। आचार्य महाप्रज्ञ के प्रवचन शैली में अध्यात्म और विज्ञान का समन्वय था।विश्व के महान दार्शनिक, प्रज्ञा के अक्षय भंडार, प्रेक्षा ध्यान पद्धति के अनुसंधान कर्ता,तेरापंथ धर्म संघ के दशम अधिशास्ता, युग प्रधान आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी के 105वीं जन्म जयंती पर पूरा तेरापंथ समाज उनको वंदन करता हुआ श्रदा सुमन अर्पित करता है। इस कार्यक्रम में महिला मंडल की अध्यक्ष सुषमा डागा ने सभी का स्वागत किया। इस मौके राहुल बालड, विनिता बैंगानी सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।
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