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हर साल मुहर्रम में पीपल के पेड़ की एक मोटी डाल बरेली प्रशासन के लिए सिरदर्द बन जाती थी. हिंदू बहुल इलाके में यह पीपल का पेड़ ऐसी जगह पर है, जिस संकरे रास्ते से होकर ताजिया का जुलूस हर साल निकलता है. कई दशकों से यही परंपरा चली आ रही है. ऐसे में मुस्लिम इसी रास्ते से जुलूस निकालने पर अड़े रहे. 32 साल के तनाव के बाद इस साल यहां हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की अनूठी मिसाल देखने को मिली है. जी हां, स्थानीय पार्षद अनीस सकलैनी और भाजपा पदाधिकारी संजीव मिश्रा के बीच सबसे पहले इस समस्या के निपटारे को लेकर बातचीत शुरू हुई. 1992 में इस इलाके में सांप्रदायिक तनाव पैदा हो गया था जब पीपल की एक शाखा पहली बार 12 फीट ऊंचे ताजिया के रास्ते में अड़चन बन गई थी. इस बार दोनों समुदायों के लोगों ने रास्ता निकाल लिया. हां, हिंदुओं की सहमति पर उस डाल को काट दिया गया
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