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हम में से कितने लोग अपनी आत्मा के बारे में सोचते हैं ?आप दिन भर में अपनी आत्मा के बारे में कितने मिनट सोचते हो ?
क्या आपने कभी सोचा है कि आपका एक आत्मा का भी अस्तित्व है … पर हम सिर्फ और सिर्फ अपने शरीर के बारे में, अपने बाहरी भौतिकी सुख के बारे में सोचते हैं क्योंकि हम सिर्फ शरीर का सुख देख रहे हैं हम आत्मा के सुख के बारे में नहीं सोच रहे हैं ।हम कभी भी अपने आत्मा को समय नहीं देते हैं.. हम इस संसार में भटक रहे हैं।
यहां पर सिर्फ दो पल के लिए खुशी मिलती है फिर हर पल के लिए दुख, कभी भी हमें सच्चा सुख नहीं मिला है।
इसलिए अब समय आ गया है कि हर रोज 10 मिनट हमको आत्मा के बारे में सोचना है।
अब चतुर्मास शुरू हो रहा है - हो गया है इससे अच्छा समय और क्या हो सकता है हमको मनुष्य जन्म मिला है यहां पर हमको साधुजी साध्वीजी भगवंत के प्रवचन सुनने को मिल रहे हैं।
जिनवाणी जब हम सुनेंगे तभी हम आत्मा के बारे में ज्यादा समझ पाएंगे आप कोशिश जरूर कीजिए कि कम से कम 15 से 20 मिनट आप साधुजी साध्वीजी के व्याख्यान सुनो।आप एक बार सुनकर तो देखो इसमें आपका कोई नुकसान नहीं है , आपका फायदा ही फायदा है। हा चार्तुमास मे अब आप यह चिंतन जरूर करना की जैन धर्म जो अलग - अलग संप्रदाय मे बट चुका है आडंबर से घीरचुका है उससे कैसे बाहर निकला जाए श्री साधू भगवंतो को इस पर जरूर प्रवचन देना चाहिए और सबसे पहले श्री संध को प्रवचन देने से पहले खुद पर भी यह मंथन जरूरी है आज श्रावक - श्राविकाए ज्यादा उपदेश साधू - साध्वीजी भगवंतो का मानती है और उनपर धर्म -प्रभावना आराधना करती है तो बंधुओ - बहनो इस चार्तुमास को एक अलग पहचान देकर अपने आत्मा को चेताने जगाने जरूर मंथन करे त्याग तपस्या करे व आडंबर व तामझाम से दूर रहे ।
आपका - जगदीश जे मेहता
संपादक - मरुधर का तहलका
रिपोर्टर