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लिवर से संबंधित कई तरह की
बीमारियां वैश्विक स्वास्थ्य के लिए बड़ा जोखिम रही हैं। लिवर में फैट बनने यानी
फैटीलिवर की समस्या का खतरा कम उम्र के लोगों में भी देखा जा रहा है। केंद्रीय
मंत्री डॉ जीतेंद्र सिंह ने एक कार्यक्रम में बताया कि देश में हर तीसरे व्यक्ति
को फैटीलिवरडिजीज हो सकती है। सभी लोगों को लिवर की बढ़ती इस बीमारी को लेकर
सावधानी बरतना और बचाव के लिए उपाय करते रहना जरूरी है।
लिवर में फैट जमने का खतरा उन लोगों में भी देखा जाता रहा
है जो शराब नहीं पीते हैं। अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि इसके लिए लाइफस्टाइल और आहार
में गड़बड़ी एक कारण हो सकती है। वजन अधिक होना, शुगरकंट्रोल में न रहना भी इस रोग का एक बड़ा मानी जाती हैं।
आइए जानते हैं कि दिनचर्या की किन आदतों के कारण आप
फैटीलिवर रोग के शिकार हो सकते हैं?
लिवर में फैट बनने के क्या
कारण हैं?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, कई कारण हैं जो लिवर में फैट की मात्रा बढ़ाने वाले हो सकते हैं। हाई कैलोरी
वाली चीजें खाने से जोखिम बढ़ सकती है। जब हमारा लिवर, फैट वाली चीजों को सामान्य
रूप से संसाधित और विघटित नहीं कर पाता है तो इसके कारण फैट जमने का खतरा हो सकता
है। मोटापा, मधुमेह या हाई
ट्राइग्लिसराइड्स जैसी कुछ अन्य स्थितियों से पीड़ित लोगों में भी फैटीलिवर विकसित
होने की आशंका अधिक होती है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, फैटीलिवर की दिक्कत से बचे रहने के लिए लाइफस्टाइल में कुछ जरूरी बदलाव किए
जाने आवश्यक हैं।
शराब का सेवन नुकसानदायक
लिवर के लिए जिन चीजों को सबसे हानिकारक माना जाता है,
शराब पीने की आदत उसमें प्रमुख है। अत्यधिक शराब के सेवन से
न सिर्फ फैटीलिवर की समस्या होती है बल्कि इससे लिवरफेलियर तक का भी जोखिम रहता
है। फैटी लीवर रोग से पीड़ित लोगों को शराब का सेवन बिल्कुल न करने की सलाह दी
जाती है।
हालांकि शराब न पीने वालों में भी फैटीलिवर की समस्या होने
का खतरा रहता है। इसलिए लाइफस्टाइल में सुधार करना भी आवश्यक है।
कम कर दें चीनी का सेवन
अध्ययनकर्ताओं ने बताया, फैटीलिवर रोग विशेष रूप से नॉनअल्कोहलिकफैटीलिवरडिजीज (एनएएफएलडी) के लिए अधिक
मात्रा में चीनी के सेवन को जिम्मेदार माना जाता है। ये आदत ब्लड शुगर के स्तर को
काफी बढ़ा देती है जिससे लिवर में वसा की मात्रा बढ़ने लगती है। कैंडी, आइसक्रीम और मीठे पेय भी आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक हो
सकते हैं। ज्यादा चीनी का सेवन करते हैं तो सावधान हो जाइए।
शारीरिक रूप से सक्रिय न रहना खतरनाक
नियमित व्यायाम सभी के लिए महत्वपूर्ण है। व्यायाम की कमी
फैटीलिवर रोग के खतरे को तो बढ़ाती ही है साथ ही इससे शारीरिक और मानसिक कई प्रकार
की समस्याओं का खतरा भी हो सकता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया शारीरिक रूप से सक्रिय रहने
से न सिर्फ फैटीलिवर के प्रबंधन में मदद मिलती है साथ ही जिन लोगों को ये समस्या
नहीं है उनमें ये जोखिमों को भी कम करती है। एनएएफएलडी की समस्या वाले लोगों को
सप्ताह में कम से कम 150-300 मिनट के मध्यम एरोबिक
व्यायाम करने की सलाह दी जाती है।
रिपोर्टर