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फेफड़े के कैंसर और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज जैसी फेफड़ों की बीमारियों का कारण लंबे समय से धूम्रपान से जुड़ा हुआ है, लेकिन बुधवार को विशेषज्ञों ने कहा कि धूम्रपान न करने वालों में भी मामलों में चिंताजनक वृद्धि देखी गई है। फेफड़े के कैंसर के कुल केस में लगभग 10 से 15 प्रतिशत केस धूम्रपान न करने वाले होते हैं।
विश्व फेफड़ा दिवस हर साल 25 सितंबर को फेफड़ों के स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने और दुनिया भर में फेफड़ों की बेहतर देखभाल को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। धूम्रपान फेफड़ों की बीमारियों जैसे क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) और फेफड़ों के कैंसर का एक प्रमुख कारण है। धूम्रपान छोड़ने से फेफड़ों के स्वास्थ्य में काफी सुधार हो सकता है और इन बीमारियों के विकसित होने का जोखिम कम हो सकता है। हालांकि, विशेषज्ञों ने कहा कि धूम्रपान न करने वालों में भी श्वसन संबंधी मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।
बेंगलुरु के एस्टर सीएमआई अस्पताल में इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी के प्रमुख सलाहकार डॉ. सुनील कुमार के. ने आईएएनएस को बताया कि- "इनका मुख्य कारण सेकेंड हैंड स्मोकिंग और वायु प्रदूषण है, जो फेफड़ों की बीमारी के लिए महत्वपूर्ण जोखिम कारक हैं। सूक्ष्म प्रदूषक फेफड़ों में प्रवेश करते हैं और उनके भीतर कोशिका क्षति और सूजन का कारण बनते हैं, जो समय के साथ कैंसरकारी उत्परिवर्तन को प्रेरित कर सकते हैं।" "प्रदूषित हवा के ऐसे लगातार संपर्क से न केवल फेफड़ों के ऊतकों को नुकसान पहुंचता है, बल्कि धीरे-धीरे शरीर की प्रतिरक्षा रक्षा कमजोर होती जाती है। यहां तक कि जिन लोगों ने कभी धूम्रपान नहीं किया है, उनके लिए भी निष्क्रिय धूम्रपान एक गंभीर खतरा बन सकता है।
विशेषज्ञ ने कहा कि " आस-पास धूम्रपान करने वाले किसी व्यक्ति या घर के अंदर धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के धुएं में सांस लेना भी उतना ही हानिकारक हो सकता है।" सतहों पर जमा होने वाले थर्ड हैंड स्मोक से भी अवशिष्ट विषाक्त पदार्थ व्यक्तियों, विशेष रूप से बच्चों और पालतू जानवरों को स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम में डालते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नोट किया है कि दुनिया की 99 प्रतिशत आबादी अस्वास्थ्यकर हवा में सांस लेती है। जलवायु परिवर्तन वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है, जो फेफड़ों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। बच्चे, वृद्ध और मौजूदा श्वसन संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोग विशेष रूप से असुरक्षित हैं।
गुरुग्राम के सीके बिड़ला अस्पताल के क्रिटिकल केयर और पल्मोनोलॉजी प्रमुख डॉ. कुलदीप कुमार ग्रोवर ने आईएएनएस को बताया कि- धूम्रपान न करने वालों में फेफड़ों की समस्याओं के अन्य जोखिम कारकों में बचपन में होने वाले श्वसन संक्रमण शामिल हैं, जो वयस्कता में भी हो सकते हैं। विशेषज्ञ ने कहा- "बचपन में बार-बार होने वाले संक्रमण से फेफड़ों में ब्रोन्किइक्टेसिस हो सकता है और सिस्टिक समस्याएं भी फेफड़ों को नष्ट कर सकती हैं।" ग्रोवर ने कहा कि श्वसन संबंधी संक्रमण, सीओपीडी, अस्थमा और टीबी संक्रमण जैसी फेफड़ों की समस्याएं धूम्रपान न करने वालों में सबसे आम हैं, जो मुख्य रूप से कम प्रतिरक्षा स्तर के कारण होती हैं। कुमार के अनुसार, "हमें स्वच्छ हवा, धूम्रपान मुक्त स्थान और उन विभिन्न छिपे खतरों की बेहतर समझ की आवश्यकता है, जिनका हम हर दिन सामना करते हैं।"
अगर कोई अपने मन में ठान ले कि उसे यह काम करना ही है तो वह काम निश्चित रूप से होकर ही रहेगा। ठीक उसी तरह सिगरेट छोड़ने के लिए भी आपको एक वजह की जरूरत होगी। वह वजह जो आपको अंदर से मजबूत प्रेरणा दे कि आप ऐसा कर सकते हैं या फिर कुछ भी हो सकता है। यह कारण कोई भी हो सकता है, उदाहरण के लिए जैसा कि आप कैंसर या दिल की बीमारियों का शिकार नहीं होना चाहते। इसके अलावा आप हमेशा जवां दिखना चाहते हैं। इसके साथ ही एक सबसे बड़ा कारण है कि आपको अपनों का साथ चाहिए या धुएं से होने वाला लंग कैंसर और ओरल कैंसर। कारण कई हो सकते हैं और यही सबसे बड़ी वजह है, जो इस बीमारी को फैलने से रोकती है।
अगर आप धूम्रपान की लत से परेशान हैं और इससे निजात पाना चाहते हैं तो आप अपने परिवार या अपने दोस्तों से इसको लेकर चर्चा कर सकते हैं। ध्यान रखें कि परिवार आपके सुख-दुख में हमेशा आपके साथ रहता है। इसके अलावा आप चाहें तो अपनी करीबी दोस्त, जिस पर आप सबसे ज्यादा विश्वास करते हों उसे बता सकते हैं। इससे आपको तब मदद मिलेगी जब आपकी इच्छाशक्ति कम पड़ने लगेगी तब आपका परिवार या दोस्त आपको प्रोत्साहित करेंगे। मौजूदा दौर में ऐसे कई ग्रुप हैं जहां धूम्रपान छोड़ने के इच्छुक व्यक्ति मिल जुलकर एक-दूसरे की मदद करने के लिए आगे आते हैं और अपना अनुभव साझा करते हैं। इस तरह के समूह में शामिल होने से आपको और हौसला मिलेगा।
इस बात पर वैज्ञानिकों ने भी अपनी राय रखी है। दरअसर कई अध्ययनों से सामने आया है कि मांसाहारी या कुछ अन्य खाद्य उत्पाद ऐसे हैं, जिन्हें खाने के बाद आपको धूम्रपान की तलब लग सकती है जबकि पनीर, फल और सब्जियां सिगरेट के स्वाद को खराब करते हैं। इन चीजों के सेवन से आपका धूम्रपान से मन हटने लगता है। इसलिए प्रयास करें कि जब भी आप धूम्रपान से छुटकारा पाने चाहते हों तो उस दौरान ज्यादा से ज्यादा हरी सब्जियों और फलों को अपनी डाइट का हिस्सा बनाएं।
लोग अक्सर सोचते हैं कि धूम्रपान करने से चिंता कम होने लगती है और इससे शरीर को आराम मिलता है जबकि ऐसा नहीं है। दरअसल आपका शरीर इसका आदि हो चुका होता है। अधिकतर लोग तनाव कम करने के लिए धूम्रपान करते हैं। अगर आप अपने शरीर को आरान देने के बारे में सोच रहे हैं तो धूम्रपान के बजाए अन्य विकल्पों के बारे में सोचें। व्यायाम, पसंदीदा संगीत सुनना, घूमना, मेडिटेशन आदि अन्य विकल्पों में शामिल हो सकते हैं। आप अपने आपको इन चीजों में व्यस्त रखने की कोशिश कर सकते हैं, जिससे आपका मन धूम्रपान से हटेगा।
धूम्रपान छोड़ने जैसी बातें सुनने में बड़ी सहज मालूम होती हैं लेकिन यह उतना आसान है नहीं। दरअसल सिगरेट या बीड़ी जैसी चीजों के प्रयोग से आपका दिमाग पहले से ही निकोटिन का आदि हो चुका होता है। इसलिए जरूरी है कि आप आपने दिमाग पर काबू रखें। डॉक्टर से हर उस रास्ते के बारे में पूंछे, जिससे आपको मदद मिले। इसमें दवाइयां, योग, एक्सरसाइज, निकोटिन पैच शामिल हो सकते हैं।
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