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सर्वाइकल पेन (गर्दन का दर्द) आजकल एक आम समस्या बन गई है। बहुत से लोग अपने दर्द को इग्नोर कर देते हैं, जो आगे चलकर मुश्किल खड़ी कर सकता है। सर्वाइकल का दर्द काफी परेशान करता है जो आमतौर पर खराब जीवनशैली, गलत बॉडी पॉश्चर और तनाव के कारण होती है। यह गर्दन के ऊपरी हिस्से, कंधों, और पीठ के ऊपरी भाग में दर्द का कारण बनता है। आइए जानते है क्या है सर्वाइकल पेन की पहचान और इसका घरेलू इलाज।
सर्वाइकल पेन गर्दन और कंधों के आसपास होने वाला दर्द होता है, जो कभी-कभी सिर और पीठ तक फैल सकता है। इसमें दर्द गर्दन में अकड़न के साथ होता है, और कभी-कभी हिलाने-डुलाने पर दर्द बढ़ सकता है। यह दर्द हल्का या गंभीर हो सकता है और सिरदर्द, चक्कर आना, और हाथों में सुन्नता के साथ हो सकता है।
- गर्दन और कंधों में लगातार दर्द
- सिर को हिलाने में कठिनाई
- सिरदर्द, खासकर सिर के पिछले हिस्से में
- गर्दन और कंधों में अकड़न और मांसपेशियों में तनाव
- चक्कर आना या संतुलन में कमी
- हाथों में झुनझुनी या सुन्नपन
- कुछ मामलों में दर्द पीठ और निचले हिस्से तक भी फैल सकता है
सर्वाइकल पेन के कारण
गलत बॉडी पॉश्चर: कंप्यूटर पर लंबे समय तक बैठना, मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल, और सोते समय गर्दन को सही सपोर्ट न मिलना।
तनाव: मानसिक तनाव मांसपेशियों में तनाव पैदा करता है, जिससे गर्दन और कंधों में दर्द हो सकता है।जरी: अचानक झटका लगने या चोट के कारण गर्दन की हड्डियों या मांसपेशियों में समस्या हो सकती है।
बढ़ती उम्र: उम्र बढ़ने के साथ सर्वाइकल स्पोंडिलाइटिस जैसी समस्याएं होने लगती हैं, जिससे गर्दन की हड्डियों में बदलाव और दर्द होता है।
डिस्क डीजेनेरेशन: रीढ़ की हड्डियों के बीच स्थित डिस्क का घिस जाना या खराब हो जाना।
स्ट्रेस और थकान: लगातार मानसिक या शारीरिक तनाव से भी गर्दन में अकड़न और दर्द हो सकता है।
वजन बढ़ना: मोटापा भी सर्वाइकल पेन का कारण हो सकता है, क्योंकि यह गर्दन और पीठ पर अतिरिक्त भार डालता है।
गर्दन के लिए एक्सरसाइज: नियमित हल्के स्ट्रेचिंग और गर्दन घुमाने की एक्सरसाइज करें। इससे गर्दन के मांसपेशियों में लचीलापन आता है और दर्द से राहत मिलती है। गर्दन को धीरे-धीरे आगे-पीछे और दाए-बाए घुमाए। लेकिन ध्यान रखें कि इसे जोर से न करें, इससे चोट लग सकती है।
गर्म पानी की सिकाई : गर्दन की मांसपेशियों में खिंचाव और अकड़न को कम करने के लिए गर्म पानी की सिकाई करें। इससे रक्त संचार बेहतर होता है और दर्द में राहत मिलती है। दिन में 2-3 बार 10-15 मिनट तक गर्म तौलिया या हीटिंग पैड का उपयोग करें।
हल्दी वाला दूध: हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो शरीर के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करते हैं। रात में सोने से पहले हल्दी वाला दूध पीना फायदेमंद होता है।
नमक का पानी : अगर सर्वाइकल पेन बहुत अधिक हो, तो एप्सम सॉल्ट से स्नान करें। यह मांसपेशियों को आराम देने और दर्द को कम करने में मदद करता है।
तेल से मालिश: नारियल, तिल, या सरसों के तेल से हल्की मालिश करें। इससे मांसपेशियों में रक्त संचार बेहतर होता है और दर्द से राहत मिलती है।
अच्छी नींद और सपोर्टिव तकिया: सोते समय सही पॉश्चर और सपोर्टिव तकिया का उपयोग करें। गर्दन को सही सपोर्ट मिलना जरूरी है ताकि रीढ़ की हड्डी सीधी रहे।
-बैठने और सोने का तरीका सही रखें। कंप्यूटर पर काम करते समय सही एर्गोनॉमिक्स का ध्यान रखें।
-गर्दन और पीठ की मांसपेशियों को मजबूत और लचीला बनाए रखने के लिए नियमित रूप से एक्सरसाइज करें।
-योग और मेडिटेशन से तनाव को नियंत्रित रखें।
-काम करते समय हर 30-40 मिनट के बाद ब्रेक लें और थोड़ा टहलें।
नोट: सर्वाइकल पेन एक गंभीर समस्या बन सकती है, यदि इसे नजरअंदाज किया जाए। यदि दर्द ज्यादा समय तक बना रहे, तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें
गर्दन दर्द की समस्या यूं तो किसी चोट, खिंचाव या मोच के कारण हो सकती है। मगर कई बार बिना कारण होने वाला गर्दन दर्द, जो कुछ-कुछ दिनों के अंतर पर लगातार होता रहे, कई रोगों का शुरुआती संकेत भी हो सकता है। आपके गर्दन के सामने के हिस्से में कई महत्वपूर्ण ग्रंथियां, नसें आदि होती हैं, जिनपर छोटा-मोटा दबाव भी आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। ऐसे में अगर आप गर्दन के सामने के हिस्से में होने वाले दर्द को काफी दिनों तक नजरअंदाज करते हैं, तो आपको परेशानियां हो सकती हैं।
कई बार जुकाम होने पर या कफ जमा होने पर भी गर्दन में हल्के-फुल्के दर्द की शिकायत हो सकती है। मगर हर बार गर्दन दर्द को जुकाम का संकेत समझकर नजरअंदाज न करें, क्योंकि ये इन 5 रोगों का इशारा भी हो सकता है।
हार्ट अटैक से भले ही आपका दिल प्रभावित होता है, मगर इसके शुरुआती संकेत कुछ महीनों या दिनों पहले आपको अपने जबड़े और गर्दन में भी महसूस हो सकते हैं। जबड़े और गर्दन में कभी-कभार बिना कारण होने वाला दर्द आपको नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अगर हार्ट अटैक से पहले ही डॉक्टर इसका पता लगा लें, तो मरीज को बचाने की संभावना 95% से ज्यादा बनी रहती है। आमतौर पर हार्ट अटैक का मुख्य संकेत सीने में तेज दर्द को माना जाता है। मगर कई बार ये दर्द आपको भुजाओं, कंधों, गर्दन, पीठ और जबड़ों में भी महसूस हो सकता है।
एसिड रिफ्लक्स आपके पाचन से जुड़ी समस्या है, जिसके कारण कई बार आपको अपने सीने में जलन महसूस होती है। मगर एसिड रिफ्लक्स के प्रभाव को सिर्फ सीने तक मान लेना आपकी भूल हो सकती है क्योंकि कई बार इसके कारण आपको अपने गर्दन के हिस्से में भी दर्द और जलन जैसा महसूस हो सकता है। दरअसल आहार नली आपके गर्दन से शुरू होकर आपके पाचनतंत्र तक जाती है। ऐसे में कई बार एसिड बढ़ने पर ये आपकी गर्दन तक भी पहुंच सकता है।
आपके गर्दन के अगले हिस्से में बहुत सारे महत्वपूर्ण एलिमेंट्स होते हैं, जैसे- मसल्स, कार्टिलेज, लिगामेंट्स, नर्व्स (तंत्रिकाएं), नसें, वायु-नली, लैरिंक्स, फैरिंक्स, लिम्फ नोड्स और ग्लैंड्स (थायरॉइड) आदि। इनमें से कुछ ऐसे एलिमेंट्स हैं जिनमें कैंसर होने की संभावना भी बनी रहती है जैसे- लिम्फ नोड्स, थायरॉइड ग्रंथि, मुंह का हिस्सा आदि। लिम्फ नोड्स के कैंसर को लिम्फोमा कहते हैं, थायरॉइड ग्रंथि के कैंसर को थायरॉइड कैंसर आदि। इसलिए अक्सर गर्दन में बना रहने वाला दर्द गर्दन के किसी हिस्से में पनप रहे कैंसर का भी संकेत हो सकता है।
इपिग्लॉटिटिस में सूजन होने पर आपकी सांस रुक सकती है या खाने पीने में परेशानी हो सकती है, इसलिए ऐसी समस्या होने पर आपको बिना देरी किए डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
गर्दन का जिस हिस्से से आपकी आवाज आती है, उसे लैरिंक्स (larynx) कहते हैं। कई बार मौसम बहुत ज्यादा ठंडा होने पर या फ्लू और वायरस की चपेट में आने पर इस लैंरिक्स में सूजन आ जाती है, जिसके कारण आपको दर्द की शिकायत हो सकती है। मेडिकल की भाषा में इस स्थिति को लैंरिंजाइटिस (Laryngitis) कहते हैं।
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