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निवेश गुरु: भरतकुमार सोलंकी
हमारे समाज में यह सामान्य धारणा हैं कि जो व्यक्ति अपनी जवानी को बिना योजना के सिर्फ़ मौज-मस्ती में व्यतीत करता हैं, वह बुढ़ापे में दुखी जीवन जीने के लिए मजबूर हो जाता हैं। वहीं, जो जवानी में मेहनत कर अपने बुढ़ापे के लिए आर्थिक बंदोबस्त करता हैं, वह वृद्धावस्था में सुखी जीवन का आनंद लेता हैं। यह विचार सबको ज्ञात हैं, लेकिन आज बीमा एजेंटों की बड़ी फौज ने हमारी सोच को बदलने की कोशिश की हैं।
बीमा कंपनियों के एजेंट अकसर मृत्यु के भय और परिवार के प्रति भावनात्मक लगाव का सहारा लेकर लोगों को यह विश्वास दिला देते हैं कि जीवन का मुख्य उद्देश्य परिवार को हमारी मृत्यु के बाद सुरक्षित रखना हैं। परिणामस्वरूप, लोग अपने रिटायरमेंट के लिए आवश्यक पूंजी जुटाने पर ध्यान नहीं दे पाते। ऐसे में सवाल उठता हैं कि क्या परंपरागत बीमा पॉलिसियों में बचत कर बुढ़ापे की वित्तीय ज़रूरतें पूरी हो सकती हैं?
ध्यान दें कि यदि कोई व्यक्ति 72 के नियम के अनुसार, केवल 4% प्रतिवर्ष रिटर्न वाली योजनाओं में पैसा लगाता हैं, तो उसका पैसा 18 वर्षों में दोगुना होगा। यह रिटायरमेंट के लिए पर्याप्त नहीं है। इसके विपरीत, यदि व्यक्ति 18% प्रतिवर्ष रिटर्न देने वाली योजनाओं, जैसे इक्विटी म्यूचुअल फंड एसआईपी में निवेश करता हैं, तो उसका पैसा हर चार वर्षों में दोगुना हो सकता हैं।ऐसे में बुढ़ापे में आर्थिक स्वतंत्रता और आनंद सुनिश्चित किया जा सकता हैं।
समाधान के तौर पर, टर्म प्लान और एसआईपी का संयोजन एक प्रभावी रणनीति हो सकता हैं। टर्म प्लान आकस्मिक मृत्यु की स्थिति में परिवार को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता हैं, जबकि एसआईपी लंबे समय तक उच्च रिटर्न देकर रिटायरमेंट के लिए पर्याप्त पूंजी जुटाने में मदद करता हैं। यह संयोजन व्यक्ति को अपनी जवानी में आर्थिक अनुशासन अपनाने और वृद्धावस्था में सुखद जीवन जीने का मार्ग प्रदान करता हैं।
इसलिए, हमें अपने पैसे को सही योजनाओं में निवेश करना चाहिए, ताकि हम न केवल अपने परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें बल्कि अपने बुढ़ापे को भी खुशहाल बना सकें। जीवन का उद्देश्य केवल जीने तक सीमित नहीं है, बल्कि उसे बेहतर ढंग से जीने की योजना बनाना भी हैं।
(लेखक आर्थिक निवेश मामलों के विशेषज्ञ हैं)
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