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मुंबई, मालाड-पूर्व अप्पा पाड़ा में हुए आगजनी की घटना में पीड़ितों का दर्द शायर की एक लाइन में सिमट गया है। इस अग्निकांड में सब कुछ खो चुके पीड़ित उस शायर की लाइन `गर्दिश भी, लाचारी भी और खुद्दारी भी’ के साथ जी रहे हैं। घर का हर सामान खाक हो जाने के बाद गर्दिश में जी रहे पीड़ित लोग अब कपड़े, पानी, गैस चूल्हा, अनाज आदि के लिए लाचार हैं। हालांकि, अपनी खुद्दारी के साथ जी रहे हैं और वे फिर से खड़े होने का प्रयास कर रहे हैं। अब भी उनके इरादे मजबूत हैं, उन्हें प्रशासन से मदद की आस है। तमाम निजी संस्थाएं उनकी मदद के लिए आगे आ रही हैं। तपती चिलचिलाती धूप में वे दिन और खुले आसमान के नीचे रात गुजार रहे हैं। इसके बावजूद उनके हौसले बुलंद कि धीरे-धीरे फिर सब पटरी पर आ जाएगा। लोगों का कहना है कि फिर सब जुटाएंगे, फिर से आसियाना बनाएंगे।
यहां मुसीrबत का सामना कर रहे पीड़ितों को किसी नेता की मदद नहीं मिल रही है। भाजपा के नेताओं ने यहां जाने की जहमत तक नहीं उठाई। स्थानीय सांसद गजानन कीर्तिकर हो या भाजपा के विधायक राजहंस सिंह सहित किसी बड़े नेता की लोगों को मदद नहीं मिली है। यहां भाजपा नेताओं का आपसी विवाद भी झलक रहा है। `मिंधे’ गुट में गए स्थानीय पूर्व नगरसेवक भी मदद में असमर्थ नजर आ रहे हैं।
एनजीओ ने लोगों की मदद के लिए खुलकर हाथ बढ़ाया है। हिंदूवादी संगठनों की ओर से खाद्य सामग्री और पानी वितरित किया जा रहा है तो नजदीकी अस्पतालों, मनपा की ओर से स्वास्थ्य सेवाएं दी जा रही हैं। कुछ अन्य संस्थाएं कपड़े, कंबल, चद्दर व प्लास्टिक के तालपत्र, बांबू और रस्सी वितरण कर रहे हैं। कुछ संस्थाएं लोगों को रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले सामान बाल्टी, मग आदि प्रदान कर रही हैं।
बड़ी-बड़ी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं की बातें भी बड़ी-बड़ी साबित हो रही हैं। नेता यहां संकट झेल रहे लोगों को सहानुभूति भी देने नहीं पहुंचे। एक पीड़ित ने बताया कि हमारे दुख में जो लोग नहीं आए, उन्हें हम जरूर ध्यान में रखेंगे। पीड़ितों ने स्पष्ट कहा कि नेता हमसे हैं। हम उनसे नहीं, आज हमारा समय खराब है। कल सब ठीक हो जाएगा और फिर हमारा समय आएगा।
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